सैन्य सरकार की इस कार्रवाई से बीते एक सप्ताह के अंदर 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए सेना लगातार बल प्रयोग कर रही है, जिसके कारण अब तक 50 से अधिक प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है।
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शनिवार को म्यांमार के प्रमुख शहर यांगून में प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए सेना ने हथगोलों और आंसू गैस का प्रयोग किया। इससे पहले बुधवार को यहां 18 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी।
यांगून के अलावा उत्तरी राज्य कचिन की राजधानी मिटकिना, दक्षिण में स्थित मायेक और दक्षिण पूर्व में दावेई में भी भारी विरोध प्रदर्शन किया गया। इन सभी जगहों पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों तथा छात्रों पर आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारियों ने इन तमाम जगहों के अलावा भी देश के अलग-अलग हिस्सों व शहरों में प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया है।
फरवरी में सेना ने किया था तख्तापलट
आपको बता दें कि फरवीर में म्यांमार में सेना ने तख्तापलट करते हुए लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। सेना ने एक फरवरी को लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई आंग सान सू ची की सरकार को बर्खास्त कर सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इस तख्तापलट के खिलाफ देशभर में आक्रोश है और लोग लगातार प्रदर्शन कर अपना विरोध जता रहे हैं।
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सेना शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे इन प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए बल प्रयोग कर रही है। लिहाजा, म्यांमार में बढ़ती हिसांत्मक घटनाओं को लेकर वैश्विक समुदाय ने चिंता व्यक्त किया है। वहीं इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत ने सैन्य सरकार की हिंसक कार्रवाई को रोकने के लिए सुरक्षा परिषद से कदम उठाने का आग्रह किया था।
भारत, अमरीका समेत कई देशों ने म्यांमार में लोकतांत्रिक व्यवस्था को फिर से बहाल करने की अपील की है। अमरीका ने सेना को चेतावनी भी दी है कि जल्द से जल्द लोकतांत्रिक व्यवस्था को फिर से बहाल करें अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।