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पटरी पर लौटती जिंदगीईस्टर बम धमाकों के बाद श्रीलंका में सुरक्षा व्यवस्था बेहद खस्ताहाल बनी हुई है। सोमवार को देश के कई इलाकों में मुस्लिमों की दुकानों पर हमले किये गए। आपको बता दें कि मुस्लिम श्रीलंका की कुल आबादी का 10 प्रतिशत हैं। देश के कुछ हिस्सों में ताजा हिंसा की खबरों के बाद मंगलवार को कर्फ्यू में केवल आंशिक ढील दी गई थी। पुलिस प्रवक्ता के कार्यालय ने कहा, “उत्तर-पश्चिमी प्रांत और गम्पाहा पुलिस विभाग में लगाया गया कर्फ्यू बुधवार सुबह 6 बजे हटा दिया गया , जबकि द्वीप के अन्य क्षेत्रों में कर्फ्यू सुबह 4 बजे समाप्त हो गया था।” अधिकारियों ने कहा कि हर प्रांत में स्थिति सामान्य हो रही है। मंगलवार रात भर हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। सरकार ने हिंसक झड़पों के बाद सोशल मीडिया पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। सरकार ने हालांकि मंगलवार को फेसबुक और वॉट्सऐप को पर रोक कुछ हद तक हटा ली लेकिन उसने ट्विटर पर नाकाबंदी बढ़ा दी। दूरसंचार नियामक ने कहा कि सोशल मीडिया पर पाबंदी अफवाहों और अभद्र टिप्पणियों के प्रसार को रोकने के लिए है।
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बड़े पैमाने पर हुई गिरफ्तारियांहमलों में हिस्सा लेने के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया गया। श्रीलंका पुलिस के प्रवक्ता रूवान गुनसेकरा ने कहा, “मुस्लिम विरोधी दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए तैंतीस संदिग्धों को रिमांड पर लिया गया है और 60 से अधिक लोगों को सीधे गिरफ्तार किया गया है।” संदिग्धों को सिविल एंड पॉलिटिकल राइट्स (ICCPR) तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत 10 साल की जेल की सजा सुनाई जा सकती है। पुलिस के प्रवक्ता ने कहा कि हिंसा में लिप्त व्यक्तियों द्वारा की गई अवैध गतिविधियों को उनके पुलिस रेकॉर्ड में नोट किया जाएगा। प्रांत के सभी स्कूलों और कालेजों को बुधवार को फिर से शुरू किया गया। गौरतलब हैं कि ईस्टर आत्मघाती हमलावरों ने तीन चर्चों और तीन लक्जरी होटलों में विनाशकारी विस्फोटों के जरिये एक बड़े हमले को अंजाम दिया जिसमें 253 लोग मारे गए और 500 से अधिक लोग घायल हो गए।
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