ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने करीब एक दशक पहले हुए युद्ध अपराधों के मुद्दे को किसी अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर रखा हो।
काठमांडु। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मानवाधिकार के मुद्दे पर भारत की कड़ी आलोचना की है। ओली ने जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में नेपाल में मानव अधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे को उठाने से नाराज थे। भारत ने मानवाधिकार के मामले में नेपाल के खिलाफ आवाज उठाई थी। ऐसा पहली बार हुआ है जब भारत ने करीब एक दशक पहले हुए युद्ध अपराधों के मुद्दे को किसी अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर रखा हो। भारत ने नेपाल से ट्रांजिशनल जस्टिस मैकनिजम को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए कहा है।
ओली ने इस मामले पर कहा कि वह जानना चाहते हैं कि भारत इस बात को आखिर कैसे नजरअंदाज कर सकता है कि नेपाल में शांति प्रक्रियाओं में खुद संयुक्त राष्ट्र भी शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत ने इससे पहले कभी भी नेपाल के ट्रांजिशनल जस्टिस मैकनिजम या उसकी क्षमता को लेकर अपना मत सार्वजनिक नहीं किया था, लेकिन अब उसने सीधे इसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर रखा है।
उल्लेखनीय है कि जिनेवा बैठक में भारत के प्रतिनिधि ने कहा कि युद्ध अपराधों और अत्याचारों को लेकर अपराधियों की सजा सुनिश्चित होनी चाहिए, इसके साथ ही पुनर्मिलाप आयोग की कार्यवाही और उसकी सिफारिशों को महत्व दिया जाना चाहिए। भारत के इस कड़े रुख को लेकर नेपाल में उसकी काफी आलोचना हो रही है। प्रधानमंत्री ओली ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ समय पहले हमारे पड़ोसी देश के नेता नेपाल को युद्ध की धमकी दे रहे थे, और अब वह दशकों पुराने मुद्दे को ताजा करने की कोशिश क र रहे हैं।