उन्होंने द राइजिंग नेपाल से एक इंटरव्यू में कहा कि जनरल मनोज नरवणे ( Army Chief Manoj Naravane ) का कूटनीतिक विवाद में चीन की तरफ इशारा करना निंदनीय है। अगर जरूरत पड़ी तो नेपाली सेना भारत के खिलाफ लड़ाई भी करेगी। उन्होंने ये भी कहा कि नेपाल का मानना है कि कालापानी मुद्दे का समाधान राजनयिक वार्ता के जरिए ही निकाला जाए।
रक्षा मंत्री ईश्वर पोखरेल ने कहा कि भारतीय सेना प्रमुख के इस बयान से गोरखा बल के सामने सिर ऊंचा कर खड़ा करना भी अब मुश्किल होगा। उन्होंने भारतीय सेना प्रमुख के बयान को राजनीतिक स्टंट ( Political stunt ) करार दिया और कहा कि सेना प्रमुख से इस तरह के बयान की उम्मीद नहीं की जाती है।
Coronavirus : भारत में पिछले 24 घंटे में करीब 7000 नए मामले आए सामने, 150 की मौत उन्होंने कहा कि भारतीय सुरक्षा बलों में आजादी से पहले से ही नेपाली गोरखा शामिल रहे हैं और भारत-नेपाल के विवाद से उन्हें हमेशा दूर ही रखा गया है। भारतीय सेना में गोरखा की करीब 40 बटालियन हैं जिसमें नेपाल के सैनिक बड़ी संख्या में हैं। यह पहली बार है जब नेपाल के रक्षा मंत्री ने भारत-नेपाल के विवाद में गोरखा समुदाय ( Gorkha Community ) को भी घसीट लिया है।
बता दें कि 8 मई को दारचूला-लिपुलेख ( Darchula-Lipulekh ) में भारत ने सड़क का उद्घाटन किया था। इसको लेकर नेपाल ने विरोध दर्ज कराया था। साथ ही नेपाल ने इन इलाकों पर अपना दावा पेश किया था। कुछ दिनों बाद ही सेना प्रमुख नरवणे ने बयान दिया था कि लिंक रोड भारतीय क्षेत्र में है इसलिए नेपाल के पास विरोध करने की कोई वजह नहीं है। नरवणे ने कहा था कि कई तर्क ऐसे हैं जिनके आधार पर ये माना जा सकता है कि उन्होंने किसी और के इशारे पर मुद्दे को उठाया होगा और ये एक बड़ी संभावना है।
केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा बोले – कुछ लोगों को Quarantine से मिली है छूट नरवणे के इस बयान पर नेपाल की सेना ने चुप्पी बरती है। नेपाल की सेना ( Nepal Army ) के प्रवक्ता जनरल विज्ञान देव पांडे ने नरवणे के बयान पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि वह किसी राजनीतिक क्षेत्र के मामले में नहीं पड़ना चाहते हैं। सोमवार को भी नेपाल के सेना प्रवक्ता ने पुराना ही रुख बनाए रखा और कहा कि वह रक्षा मंत्री की राय पर टिप्पणी करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।