भारत के फैसले से ‘घबराया’ पाकिस्तान इन देशों के शरण में पहुंचा, फोन कर मांगी मदद अमरीका में चली थी चाल पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने हाल ही में अमरीका की यात्रा की थी। इस दौरान अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मामले में मध्यस्थता का मंत्र दिया था। इसे लेकर वे बार-बार दोहरा रहे थे कि अगर पीएम नरेंद्र मोदी चाहेंगे तो वह इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे। ऐसे में भारत पर लगातार दबाव बढ़ रहा था कि वह कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे पूरे विश्व में एक कठोर संदेश पहुंचे।
आर्टिकल 370 पर फैसले से बौखलाए पाक ने भारतीय उच्चायुक्त को किया तलब, दर्ज की आपत्ति पीओके पर अभी भी है भारत का दावा
गिलगित-बालटिस्तान पीओके में स्थित है। भारत पहले भी कहता आया है कि इस क्षेत्र में उसका भी दावा है। साल 1994 में संसद के पास प्रस्ताव के अनुसार यह भारत के अधिकारिक दावे का हिस्सा अभी भी है। यहां की जनता भी भारत के साथ है। उसका कहना है कि वह पाकिस्तान के शासन में अत्याचार का शिकार हो रही है। उनके नेता लगातार भारत से मदद भी मांगते रहे हैं। मगर अब तक भारत कश्मीर के मामले में ही उलझा हुआ था। अब शायद वह इस मुद्दे पर भी बात करेगा।
गिलगित-बालटिस्तान पीओके में स्थित है। भारत पहले भी कहता आया है कि इस क्षेत्र में उसका भी दावा है। साल 1994 में संसद के पास प्रस्ताव के अनुसार यह भारत के अधिकारिक दावे का हिस्सा अभी भी है। यहां की जनता भी भारत के साथ है। उसका कहना है कि वह पाकिस्तान के शासन में अत्याचार का शिकार हो रही है। उनके नेता लगातार भारत से मदद भी मांगते रहे हैं। मगर अब तक भारत कश्मीर के मामले में ही उलझा हुआ था। अब शायद वह इस मुद्दे पर भी बात करेगा।
आर्टिकल 370 हटने पर अमरीका ने दी यह प्रतिक्रिया, मुफ्ती-अब्दुल्ला की गिरफ्तारी पर जताई चिंता गिलगित-बालटिस्तान के मुद्दे पर चुप्पी पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा लेकर हर साल लेकर पहुंच जाता है। मगर पीओके में स्थित गिलगित-बालटिस्तान के मुद्दे पर चुप्पी साध लेता है। कई बार मानवाधिकार संगठनों की रिपोर्ट में दावा किया गया कि दोनों क्षेत्रों में पाकिस्तान के अत्याचार अपने चरम पर है। लेकिन इन मामलों को दबा का पाक हमेशा से ही कश्मीर का राग अलापता रहा है। पीओके में पाकिस्तान खुले तौर पर अपना शासन चला रहा है।
लद्दाख पर बढ़ रहा था चीन का असर लद्दाख पर बढ़ रहा था चीन का असरलद्दाख पर भारत का फैसला सामरिक और रणनीति दोनों तरह से महत्वपूर्ण है। अब भारत यहां पर शिया मुसलमानों और बौद्धों से ज्यादा गंभीरता से बातचीत कर सकता है। ये दोनों ही समुदाय चीन के प्रभाव में आ सकते हैं। कश्मीर घाटी की वजह से भारत का ध्यान इस ओर गया ही नहीं कि चीन लद्दाख में बौद्ध मठों पर अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। लद्दाख में कई ऐसे बौद्ध संप्रदाय हैं, जिन्हें चीन लुभाने की कोशिश करता रहा है।
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