एशिया

करतारपुर के बाद अब खोखरापार-मुनाबाओ सीमा को खोलने की मांग बढ़ी

पत्र में उल्लेख किया गया है कि किस तरह 1947 के विभाजन के बाद से दोनों देशों के लाखों मुस्लिम और हिंदू तीर्थयात्रियो को कठिनाई का सामना करना पड़ा

Nov 27, 2019 / 02:23 pm

Mohit Saxena

imran khan

इस्लामाबाद। करतारपुर के बाद अब खोखरापार-मुनाबाओ सीमा को खोलने की कवायद की जा रही है। अमरीका एक संगठन ने पाक के पीएम इमरान खान से यह आग्रह किया है। संगठन के अनुसार इससे पाकिस्तान के मुस्लिम तीर्थयात्रियों को राजस्थान के अजमेर शरीफ और भारत के हिन्दू श्रद्धालुओं को बलूचिस्तान के हिंगलाज मंदिर की यात्रा में सुविधा होगी।
‘खोखरापार-मुनाबाओ सीमा खोलकर भी दिखाएं उदारता’

‘वॉयस ऑफ कराची’ के अध्यक्ष नदीम नुसरत के अनुसार इसके लिए पाकिस्तान के पीएम को एक पत्र लिखा है। इस चिट्ठी में उन्होंने सिख तीर्थयात्रियों के लिए करतारपुर कॉरिडोर खोलने पर इमरान खान को बधाई दी। 25 नवंबर को लिखी गई चिट्ठी में आग्रह किया है कि आपने सरकार ने करतारपुर कॉरिडोर खोलकर सराहनीय उदारता दिखाई है। जिससे सिख श्रद्धालुओं को पाकिस्तान में अपने पवित्र स्थान जाना आसान हो गया है।
पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि किस तरह 1947 के विभाजन के बाद से दोनों देशों के लाखों मुस्लिम और हिंदू तीर्थयात्री दोनों पवित्र स्थानों पर जाने के लिए कठिनाई का सामना करते हैं। पत्र में लिखा गया कि करतारपुर कॉरिडोर को खोलने जैसी उदारता इस मामले में भी दिखाकर आप दोनों मुद्दों का हल निकाल सकते हैं।
चिट्ठी में तीर्थयात्रियों की दिक्कतों का भी जिक्र

गौरतलब है कि सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह जिसे दरगाह अजमेर शरीफ भी कहा जाता है, राजस्थान के अजमेर शरीफ में स्थित है। यहां पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सीमा लगती है। यहां पर लाखों मुस्लिम विभाजन के बाद बस गए थे।
पत्र में लिखा गया,’खोखरापार सीमा से अजमेर शरीफ की यात्रा महज कुछ घंटों की है। खोखपापार-मुनाबाओ बंद होने की वजह से तीर्थयात्रियों को पंजाब और दिल्ली होते हुए यहां आना पड़ता है जो कि इस यात्रा को 4 गुना ज्यादा लंबा बना देता है और आर्थिक बोझ से भी जूझना पड़ता है।

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