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तनातनी के बीच अमरीका से वार्ता को तैयार हुआ नॉर्थ कोरिया, परमाणु निरस्त्रीकरण पर रहेगा जोर

locationनई दिल्लीPublished: Feb 26, 2018 04:36:40 pm

Submitted by:

Mohit sharma

व्हाइट हाउस ने रविवार को जारी बयान में कहा, ट्रंप प्रशासन कोरियाई प्रायद्वीप के पूरी तरह परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर प्रतिबद्ध है।

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नई दिल्ली। व्हाइट हाउस ने उत्तर कोरिया की अमरीका के साथ वार्ता की इच्छा पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि प्योंगयांग के साथ कोई भी चर्चा उसके परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने की दिशा में होनी चाहिए। व्हाइट हाउस ने रविवार को जारी बयान में कहा, ट्रंप प्रशासन कोरियाई प्रायद्वीप के पूरी तरह परमाणु निरस्त्रीकरण को लेकर प्रतिबद्ध है।

परमाणु निरस्त्रीकरण रहेगा आधार

बयान के अनुसार, हम देखेंगे कि उत्तर कोरिया की वार्ता की आशंका परमाणु निरस्त्रीकरण की दिशा में उठाया गया पहला कदम है या नहीं। बयान के मुताबिक इस बीच अमरीका और दुनिया को यह स्पष्ट करना होगा कि उत्तर कोरिया के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम समाप्ति की कगार पर है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि वह शीतकालीन ओलम्पिक समारोह के समापन कार्यक्रम से पहले उत्तर कोरियाई प्रतिनिधिमंडल से मिले थे और उन्हें बताया था कि उत्तरी कोरिया-अमरीका वार्ता जल्द से जल्द होनी चाहिए।

क्या है अमरीका-नॉर्थ कोरिया विवाद

बता दें कि अमरीका और नॉर्थ कोरिया के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण नॉर्थ कोरिया की ओर से किए गए छह परमाणु परीक्षण और अमरीका को दी जा रही लगातार युद्ध की धमकी है। प्योंगयांग ने ऐसी मिसाइलों को परीक्षण किया है, जिनकी मारक क्षमता अमरीका के कई बड़े शहरों तक है। इसके साथ ही प्योंगयांग के नेता किम जोंग उन ने गुआम प्रायद्वीप को उड़ाने की धमकी दी है। यह प्रायद्वीप अमरीका की टैरेट्री है, जिस पर अमरीका के कई सन्य बेस और 10 हजार से अधिक सैनिक तैनात हैं। यही नहीं यहां लाखों की संख्या में अमरीकी नागरिक भी रहते हैं। गुआम नॉर्थकोरिया की सीधी एप्रोच में होने के कारण अमरीका आक्रमक मोड़ में आ गया था, जिसके चलते अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएन महासभा के सम्मेलन के दौरान नॉर्थ कोरिया में बमबारी की चेतावनी दी थी। यही नहीं इसके साथ ही अमरीका और संयुक्त राष्ट्र के कहने पर चीन समेत कई देशों ने नॉर्थ कोरिया पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दी दिए थे। जिसको देखते हुए दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनाएं प्रबल हो गई थी।

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