चीन के सरकारी अखबर चाइना डेली की खबरों में कहा गया है कि सालाना होनेवाली इस बैठक में मुख्य तौर पर कई वैश्विक मुद्दों पर विचार किया जाएगा। भारत जैसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देशों पर भी इस बैठक में चर्चा होगी। इसके अलावा अमरीका, रूस पाकिस्तान और म्यांमार जैसे देशों के साथ भी रूस के संबंधों पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक के लिए चीन की राजधानी बीजिंग में सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए गए हैं। पीपुल्स कांग्रेस की बैठक में लगभग 3000 सदस्य हिस्सा लेंगे। आपको बता दें कि हालांकि चीन में प्रत्यक्ष लोकतंत्र नहीं है। एनपीसी ही एक तरह से उसकी संसद है। साल में एक बार होने वाली इस बैठक में देश और विदेश के जरूरी मुद्दों पर चर्चा होती है।
आपको बताते चलें कि हालांकि एनपीसी का काम सिर्फ सरकार के फैसलों पर औपचारिक मुहर लगाना भर है लेकिन फिर भी माना जा रहा है चीन के पड़ोसी देशों को लेकर इस बैठक में कोई बड़ा ऐलान मुमकिन है। कुछ दिन पहले पीपुल्स कांग्रेस के सचिव ने कहा था कि इस बैठक में देश और दुनिया के कई मामलों पर नजर रहेगी और भारत जैसे देशों के साथ मतभेद सुलझाने को लेकर कुछ नई घोषणाएं हो सकती हैं। भारत और चीन के बीच लम्बे समय से सीमा का विवाद है। चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर को लेकर भी दोनों देश एक दूसरे के आमने-सामने खड़े हैं। हालांकि एनपीसी की सलाह के आधार पर कानून बनाना सरकार के लिए कोई जरूरी नहीं है। एनपीसी का काम महज फैसलों पर ठप्पा लगाना भर होता है। लेकिन चीन की सरकार दुनिया के सामने ऐसा दिखावा करती है कि उसके फैसले को कांग्रेस सदस्यों का समर्थन हासिल है। जानकारों का मानना है कि चीन के इस कदम का अर्थ यह है कि देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था है और कानूनों का पालन किया जा रहा है।
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