ऐसे शुरू हुई हिंसा
दरअसल, रोहिंग्या विद्रोहियों ने शुक्रवार को तीस पुलिस थानों पर हमले किए जिसके बादसे हिंसा जारी है। वहीं, पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि रोहिंग्या मुसलमानों का शोषण बंद होना चाहिए।
कौन हैं रोहिंग्या
म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है। यहां तकरीबन 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन्हें अवैध बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। वहीं सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। रखाइन प्रांत में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।
3000 ने ली है बांग्लादेश सीमा पर गांवों और कैंपों में शरण
हाल के दिनों में तकरीबन तीन हजार रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचने में कामयाब रहे हैं जहां उन्होंने कैंपों और गांवों में शरण ली है। एक सत्तर वर्षीय बुज़ुर्ग ने बताया कि उनके दोनों बेटों की हथियारबंद बौद्ध समूहों ने हत्या कर दी और उन्हें सीमा की ओर खदेड़ दिया।मोहम्मद जफर ने बताया कि वे लाठियों और डंडों के साथ आए और हमें सीमा की ओर खदेड़ दिया।
दरअसल, रोहिंग्या विद्रोहियों ने शुक्रवार को तीस पुलिस थानों पर हमले किए जिसके बादसे हिंसा जारी है। वहीं, पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि पोप फ्रांसिस ने अपील की है कि रोहिंग्या मुसलमानों का शोषण बंद होना चाहिए।
कौन हैं रोहिंग्या
म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है। यहां तकरीबन 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन्हें अवैध बांग्लादेशी प्रवासी माना जाता है। वहीं सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। रखाइन प्रांत में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।
3000 ने ली है बांग्लादेश सीमा पर गांवों और कैंपों में शरण
हाल के दिनों में तकरीबन तीन हजार रोहिंग्या बांग्लादेश पहुंचने में कामयाब रहे हैं जहां उन्होंने कैंपों और गांवों में शरण ली है। एक सत्तर वर्षीय बुज़ुर्ग ने बताया कि उनके दोनों बेटों की हथियारबंद बौद्ध समूहों ने हत्या कर दी और उन्हें सीमा की ओर खदेड़ दिया।मोहम्मद जफर ने बताया कि वे लाठियों और डंडों के साथ आए और हमें सीमा की ओर खदेड़ दिया।
सूकी पर उठ रहे सवाल
म्यांमार में 25 वर्ष बाद पिछले साल चुनाव हुआ था। इस चुनाव में नोबेल विजेता आंग सान सूकी की पार्टी नेशनल लीग फोर डेमोक्रेसी को भारी जीत मिली थी। आरोप है कि मानवाधिकारों की वकालत करने वालीं सूकी इस मसले पर खामोश हैं। सूकी भले ही नेता हों, मगर सुरक्षा का जिम्मा सेना के हाथों में हैं। अगर वह कोई कदम उठाती हैं तो सेना से टकराव की स्थिति बन सकती है।