14 जनवरी को अगली सुनवाई
चीफ जस्टिस ने मीडिया की उन रिपोर्ट को संज्ञान में लिया जिसमें जानकारी दी गई थी कि जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा हयात को 15 जनवरी को फांसी देने का ऐलान किया गया है। मामले संबंधित जारी हुए सुप्रीम कोर्ट के बयान के मुताबिक, ‘मामले को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस ने अगले आदेश तक कैदी की सजा पर रोक लगाई है, 14 जनवरी को इस पर सुनवाई होगी, जिसके बाद फैसला लिया जाएगा।’आपको बता दें कि हयात पर साल 2003 में एक अधिकारी की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगा है। उस वक्त हयात पुलिस विभाग में काम करता था। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट से मिली जानकारी की माने तो हयात पर जेल में उसके साथियों ने कई बार बम हमले कर दिए जिससे वो मानसिक रूप से बीमार हो गया।
जेल में बिताए साल भी नहीं याद
16 सालों से कैद में रह रहे हयात को पाक की लखपत जेल में फांसी दी जानी थी। ये भी बताया जा रहा है कि 2008 में हयात का शिजोफ्रेनिया बीमारी का इलाज कराया गया था। उसकी मानसिक हालत इतनी खराब थी कि उसे इस बारे में बिल्कुल याद नहीं था कि जेल में उसे कितने साल हो गए। उसी ये भी नहीं पता था कि उसे किस कारण दवाई दी जा रही है। यही नहीं 2010 में जेल के मेडिकल अधिकारी ने हयात को विशेष इलाज कराने की सुझाव दिया, साथ ही मनोचिकित्सक के पास ले जाने की भी सलाह दिया। हालांकि, इस सुझाव पर कभी ध्यान दिया गया। हयात की मां और कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस सजा के खिलाफ अपील की थी।