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पाकिस्तान: फांसी के दो दिन पहले जज ने इस वजह से लगाई सजा पर रोक, अब दोबारा होगी सुनवाई

Published: Jan 14, 2019 12:29:15 pm

Submitted by:

Shweta Singh

16 सालों से कैद में रह रहे हयात को पाक की लखपत जेल में फांसी दी जानी थी।

Pak chief justice put stay on death penalty of a mentally ill accuse

पाकिस्तान: फांसी के दो दिन पहले जज ने लगाई सजा पर रोक, अब दोबारा होगी सुनवाई

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 2003 के एक मामले में दोषी की फांसी पर रोक लगा दी गई। खिजार हयात नाम का ये कैदी मानसिक रूप से बीमार था, जिसे मंगलवार को ही फांसी पर लटकाया जाना है। देशभर के आवाम की इस फैसले पर नजर थी, हालांकि आखिरकार उसे इससे राहत मिल गई। पाक के चीफ जस्टिस साकिब निसार ने शनिवार को इस संजीदा मामले का फैसला सुनाया।

14 जनवरी को अगली सुनवाई

चीफ जस्टिस ने मीडिया की उन रिपोर्ट को संज्ञान में लिया जिसमें जानकारी दी गई थी कि जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा हयात को 15 जनवरी को फांसी देने का ऐलान किया गया है। मामले संबंधित जारी हुए सुप्रीम कोर्ट के बयान के मुताबिक, ‘मामले को संज्ञान में लेते हुए चीफ जस्टिस ने अगले आदेश तक कैदी की सजा पर रोक लगाई है, 14 जनवरी को इस पर सुनवाई होगी, जिसके बाद फैसला लिया जाएगा।’आपको बता दें कि हयात पर साल 2003 में एक अधिकारी की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगा है। उस वक्त हयात पुलिस विभाग में काम करता था। स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट से मिली जानकारी की माने तो हयात पर जेल में उसके साथियों ने कई बार बम हमले कर दिए जिससे वो मानसिक रूप से बीमार हो गया।

जेल में बिताए साल भी नहीं याद

16 सालों से कैद में रह रहे हयात को पाक की लखपत जेल में फांसी दी जानी थी। ये भी बताया जा रहा है कि 2008 में हयात का शिजोफ्रेनिया बीमारी का इलाज कराया गया था। उसकी मानसिक हालत इतनी खराब थी कि उसे इस बारे में बिल्कुल याद नहीं था कि जेल में उसे कितने साल हो गए। उसी ये भी नहीं पता था कि उसे किस कारण दवाई दी जा रही है। यही नहीं 2010 में जेल के मेडिकल अधिकारी ने हयात को विशेष इलाज कराने की सुझाव दिया, साथ ही मनोचिकित्सक के पास ले जाने की भी सलाह दिया। हालांकि, इस सुझाव पर कभी ध्यान दिया गया। हयात की मां और कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस सजा के खिलाफ अपील की थी।

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