भारत में ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल’ की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक में पाकिस्तान के शामिल होने की संभावना है।
इस्लामाबाद। भारत की ओर से पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने की नीति के बीच भारत में अफगानिस्तान पर होने वाले क्षेत्रीय सम्मेलन में पाकिस्तान के शामिल होने की संभावना है। इस वर्ष दिसंबर के पहले सप्ताह में अमृतसर में ‘हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल’ की पहली मंत्रिस्तरीय बैठक होनी है।
जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के कारण पाकिस्तान का इस बैठक में शामिल होना संदिग्ध है। पाकिस्तान में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) शिखर सम्मेलन का भारत द्वारा बहिष्कार करने के बाद इस्लामाबाद विकल्पों की तलाश कर रहा है।
हालांकि इस मामले से जुड़े पाकिस्तानी अधिकारियों ने ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार से बातचीत में भारत के पदचिन्हों पर चलते हुए हार्ट ऑफ एशिया-इस्तांबुल सम्मेलन से दूर रहने की किसी तरह की मंशा से इनकार किया है। पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि ऐसी भावना पनप रही है कि पाकिस्तान को हार्ट आफ एशिया-इस्तांबुल सम्मेलन में शामिल होना चाहिए।
अधिकारी ने कहा कि चूंकि यह सम्मेलन अफगानिस्तान का है इसलिए इसके बहिष्कार करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार इस बात को कहता रहा है कि वह अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के लिए हर तरह का योगदान देने को तैयार है। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि इस सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज को भेजा जाएगा या निचले क्रम के किसी अधिकारी को।
अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान के इस सम्मेलन में शामिल होने से पूरी दुनिया को एक स्पष्ट संदेश मिलेगा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता लाने के लिए वह अपने पड़ोसी देश में जा सकता है जबकि भारत की मंशा इसके विपरीत है।
अफगानिस्तान के ताजा हालात तथा वहां शांति स्थापित करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा के लिए एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है जिसमें रूस, चीन तथा तुर्की समेत 14 देशों के विदेश मंत्रियों के शामिल होने की संभावना है। अमेरिका भी इसमें भाग लेगा। पाकिस्तान ने गत वर्ष दिसंबर में सम्मेलन की मेजबानी की थी, जिसमें विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शामिल हुई थीं।