इस्लामाबाद। नरेन्द्र मोदी सरकार की पाकिस्तान को दुनिया से अलग-थलग करने की रणनीति ने आखिरकार अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सेना को सख्त हिदायत दी है कि वह आतंकियों का सफाया करे और इसमें सेना की निगरानी में चलने वाली खुफिया एजेंसियों किसी तरह की दखलअंदाजी ना करे।
आतंकियों के सफाए में सेना ना अड़ाए टांगपाकिस्तान के अंग्रेजी समाचार पत्र द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद उच्चस्तरीय बैठक हुई है जिसमें दो बातों पर जोर दिया गया। पहली बात, आईएसआई के डीजी जनरल रिजवान अख्तर और पाक एनएसए नसीर जंजुआ चारों प्रॉविन्स का दौरा करेंगे। वहां वे प्रॉविंशियल कमेटियों और आईएसआई के सेक्टर कमांडर्स से मिलेंगे। इससे यह मैसेज देना है कि मिलिट्री की अगुआई में चलने वाली इंटेलिजेंस एजेंसियां आतंकी गुटों पर किसी भी तरह कार्रवाई में किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं करेंगी। अख्तर तो लाहौर के दौरे पर निकल भी गए हैं।
दूसरी अहम बात जो बैठक में तय हुई उसके अनुसार नवाज सरकार पठानकोट हमले की नए सिरे से जांच करेगा। इसके अलावा रावलपिंडी की एंटी-टेररिज्म कोर्ट में चल रही मुंबई हमले की सुनवाई भी दोबारा से शुरू की जाएगी।
पाक में मौजूद आतंकी संगठनों पर हो ठोस कार्रवाईपाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज चौधरी ने सर्जिकल स्ट्राइक के बाद के हालात पर सेना और पीएम ऑफिस को एक प्रजेंटेशन दिखाई गई। इसमें अहम मसला था पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन के आरोप के कारण विश्व बिरादरी से अलग-थलग करने की भारत की नीति का। चौधरी ने इस प्रजेंटेशन में साफ तौर पर कहा कि अमरीका से उनके संबंध लगातार कमजोर होते जा रहे हैं। अमरीका भी हक्कानी आतंकी गुट समेत अन्य आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की मांग कर रहा था।
इस पर आईएसआई के डीजी जनरल रिजवान अखतर ने पूछा था कि पाकिस्तान को विश्व में अपनी छवि खराब होने से बचने के लिए क्या करना चाहिए। इस पर चौधरी ने कहा कि विश्व बिरादरी चाहती है कि पाकिस्तान मसूद अजहर के संगठन जैश ए मोहम्मद, हाफिज सईद और उसके गुट लश्कर ए तैयबा और हक्कानी नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई करे।