29 जनवरी को मीरवाइज से हुई थी बातचीत
पाक की स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मंत्री ने शनिवार को यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर उन्होंने वरिष्ठ कश्मीरी अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक से टेलीफोन पर बात की तो यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। आपको बता दें कि कुरैशी ने 29 जनवरी को मीरवाइज से ‘जम्मू एवं कश्मीर में भारत द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघनों’ को सामने लाने के लिए पाकिस्तान के प्रयासों के बारे में बताने के लिए फोन पर बात की थी। साथ ही उन्हें ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में होने वाले सम्मेलन के लिए आमंत्रित करने के लिए फोन किया था।
‘सुलझाया जा सकता है कश्मीर मुद्दा’
कुरैशी ने कहा, ‘अगर कश्मीर मुद्दा उठाया जाता है तो भारत नाराज हो जाता है, जबकि असल में बात यह है कि इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि ‘अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में पाकिस्तान का नजरिया पेश करके भारत के असली चेहरे को बेनकाब किया जा सकता है।’ मंत्री ने कहा कि भारत में अगला चुनाव चाहे जो भी पार्टी जीते, पाकिस्तान, भारत की नई सरकार के अच्छे व्यवहार पर समान प्रतिक्रिया करेगा। कुरैशी ने अपने बयान में आगे कहा, ‘पाकिस्तान की विदेश नीति देश की इच्छा के मुताबिक और देश के हित में होगी।’ इस टेलीफोन वार्ता के बाद भारत ने 30 जनवरी को पाकिस्तान से जम्मू एवं कश्मीर के मुद्दे से दूर रहने को कहा था।