इन घटनाओं के बाद स्थानीय लोगों ने सिद्दिकी अकबर चौक पर जमकर प्रदर्शन किया। लोगों ने घटना को अंजाम देने वालों की गिरफ्तारी की मांग करते हुए शैक्षणिक संस्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। लोगों का कहना है कि सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने में विफल रही है। स्कूलों खासकर लड़कियों के स्कूलों की सुरक्षा की जानी चाहिए। बता दें, यह पाकिस्तान का उत्तरी इलाका है। यहां खास तौर पर लड़कियों के स्कूल कट्टरपंथियों और आतंकियों के निशाने पर रहते हैं।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोट्स के अनुसार- पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है। रिपोर्ट्स में जिला प्रशासन के हवाले से कहा गया है कि ये विद्यालय अभी बनाए जा रहे थे। बता दें, इससे पहले भी आतंकी यहां स्कूलों को निशाना बनाते रहे हैं। चिलास में दिसंबर, 2011 में कम से कम दो बालिका स्कूलों को कम क्षमता वाले धमाकों से नुकसान पहुंचाया गया था। एक आंकड़े के अनुसार- पिछले एक दशक में देश के कबाइली इलाकों में आतंकियों ने 1500 से ज्यादा स्कूलों को नुकसान पहुंचाया है। नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मलाला यूसुफजई को भी तालिबान ने वर्ष 2012 में लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने पर स्वात इलाके में गोली मार दी थी।