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भारत के वश की बात नहींपकिस्तान स्थित सिंधु जल आयोग के उप-प्रमुख शेराज मेमन का कहना है कि पानी रोकने को लेकर हमारे पास कोई जानकारी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा कुछ होता है तो यह गलत होगा। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत में इन नदियों का पानी को रोकने या मोड़ने की क्षमता नहीं है। आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल समझौता हुआ।
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सिंधु जल समझौते में क्या है व्यवस्थाइस समझौते के तहत 6 नदियों के पानी का बंटवारा किया गया था जो भारत से पाकिस्तान में जाती हैं। इस समझौते के तहत रावी, व्यास और सतलज के पानी पर भारत को पूरा अधिकार दिया गया। 3 नदियों झेलम, चिनाब और सिंधु का पानी बिना किसी रोक टोक के पाकिस्तान को मिलना तय हुआ। सिंधु जल समझौते के तहत तीन नदियों- झेलम, चेनाब और सिंधु के पानी का 80 फीसदी इस्तेमाल पाकिस्तान और 20 फीसदी का इस्तेमाल भारत कर सकते हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि भारत इन नदियों के पानी का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाता है। इसलिये भारत अपने हिस्से का पानी भी पाकिस्तान को दे देता है। भारत के इस पानी को रोकने के बाद अब पाकिस्तान को मिलने वाला अतिरिक्त पानी उसको नहीं मिल पाएगा।
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