विदेशी मीडिया में भी छाया भीमा-कोरेगांव हिंसा केस में हुई गिरफ्तारियों का मामला जिस संगठन ने रैली निकाली है, उसने हाल में ही हुए आम चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था। खास बात यह है कि इस संगठन ने इमरान का समर्थन भी किया था। ऐसे में कट्टरपंथियों से निपटना इमरान के सामने बड़ी चुनौती के रूप में है। जानकार इस मुद्दे को नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए पहले इम्तिहान के तौर पर देख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- खान ने इस इस कार्टून प्रतियोगिता के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन मांगा था। यही नहीं उनकी सरकार ने डच राजदूत के सामने विरोध भी दर्ज कराया था, लेकिन उनके निष्कासन की मांग पर अभी इनकार किया है।
रोहिंग्या संकटः म्यांमार ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को किया खारिज, कहा दोषी नही है सरकार बता दें, रैली निकालने वाला तहरीक-ए-लबैक वही संगठन है, जिसने 2017 में एक संवैधानिक विधेयक में पैगंबर मोहम्मद का संदर्भ दिए जाने पर इस्लामाबाद में रैली निकाली थी। इससे आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया था। बता दें, हाल ही में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने भी इमरान खान के डॉग्स को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भी इमरान से पूछा था कि क्या उन्हें पता है कि इस्लाम में डॉग्स को अपवित्र माना गया है।