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यदि हाल के दिनों की बात करें तो सेना ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं जो कि आम तौर पर देश का प्रधानमंत्री या फिर सियासी दलों के प्रतिनिधि करते हैं। इसमें सबसे प्रमुख है देश के व्यापारियों के साथ अहम बैठक।
बता दें कि पाकिस्तान की सेना लगभग हर तरह के कारोबार करती है और उत्पाद तैयार करती है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर पाकिस्तान की खराब अर्थव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है, इमरान खान या सेना? क्योंकि ऐसा भी माना जाता है कि इमरान खान सेना की कठपुतली की तरह काम करते हैं।
सेना अरबपति और देश कंगाल
बता दें कि पाकिस्तान एक और आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है, वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तानी सेना अरबपती है। देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अब आगे बढ़कर सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने बिजनेस लीडर्स के साथ मीटिंग की।
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ऐसा अनुमान है कि 2019-20 के वित्त वर्ष में पाकिस्तान की जीडीपी 2.4 फीसद रह सकती है, जबकि वित्तीय घाटा जीडीपी का 7.2 फीसद हो जाएगा, जो कि बीते 9 साल में सबसे अधिक है।
पाकिस्तान की सेना फौजी फाउंडेशन, शाहीन फाउंडेशन, डिफेंस हाउसिंग फाउंडेशन, बाहरिया फाउंडेशन और आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट की ओर से 50 कंपनियां चलाती है।
सेना के कई बड़े अधिकारी अनाज, कपड़े, सीमेंट, शुगर मिल, जूता निर्माण कार्य से लेकर एविएशन सर्विसेज, इंश्योरेंस और यहां तक की रिसॉर्ट चलाने और रीयल एस्टेट का कारोबार करते हैं, जिसकी मार्केट वैल्यू 2016 में करीब 20 अरब डॉलर थी। अब ऐसे में देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था पाकिस्तानी सेना के लिए सिरदर्द बन गई है। ऐसे में सेना अब नए कदम उठाने को मजबूर है।
सेना की संपत्ति में बढ़ोतरी
पाकिस्तान की सेना ने कई कंपनियों में निवेश किया है। अब खनन और तेल के क्षेत्र में भी आगे बढ़ते हुए पाकिस्तान मेरोक फॉस्फोर जैसी कंपनियां स्थापित की हैं।
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बीते 5 वर्ष में फौजी फाउंडेशन की परिसंपत्तियां और टर्नओवर में करीब 62 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कई तरह के सवाल हैं, जो पाकिस्तान की सियासत और सेना के संबंध को उजागर करते हैं।
बता दें कि आजादी के बाद से अब तक के इतिहास में पाकिस्तान में करीब 35-40 साल सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है और बाकी समय में पीछे के दरवाजे से सत्ता को नियंत्रित करते रहे हैं।
ऐसे में यह माना जाना चाहिए की पाकिस्तान की अर्थव्यस्था के बनने और बिगड़ने से पाकिस्तान की सेना बुरी तरह से सीधे तौर पर प्रभावित होती है।
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