यहां के शक्तिशाली मौलान हाफिज मुहम्मद इकबाल रिजवी का कहना है कि मस्जिद इबादत की जगह है। ऐसे में ये हमारी जिम्मेदारी बनती है कि यहांं पर ज्यादा से ज्यादा लोग पहुंचें। बीते माह पाक में कोरोना के 12000 मामले सामने आए थे। वहीं अब ये 48000 के पार पहुंच चुके हैं। यह बढ़ोतरी 30 प्रतिशत अधिक बताई जा रही है। यहां पर अब तक एक हजार लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। इसके बावजूद यहां की सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले के दौरान कहा है कि पाक में कोरोना को महामारी की तरह नहीं देखा जा सकता है। ऐसे में लॉकडाउन लगाने से आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ेगा। कुछ धार्मिक नेताओं ने पाक सरकार से मांग की है कि वह ईद की छुट्टियों में सभी तरह के प्रतिबंध को हटा लें।
वहीं धार्मिक समारोह पर लगाई पाबंदी को अगर वैश्विक नजरिए से देखें तो हम पाएंगे कि अन्य मुस्लिम देश पाकिस्तान से अलग राय रखते हैं। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, जॉर्डन और तुर्की में, मस्जिदों को रमजान के दौरान बंद कर दिया गया ताकि कोरोनो वायरस के प्रसार को रोका जा सके और वहीं ईद के दौरान कर्फ्यू की योजना बनाई गई है।
कराची में एक धार्मिक नेता मुफ्ती मुहम्मद हनीफ कुरैशी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लोग बड़ी संख्या में ईद की नमाज में भाग लेंगे। “हम सरकार से किसी भी टकराव से बचने की मांग करते हैं,” ऐसे में जनता को खुली छूट दी जाए।
पाकिस्तानी मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव कैसर सज्जाद देश भर के डॉक्टरों और अस्पताल निदेशकों के संपर्क में हैं। उनका कहना है कि चिकित्सा समुदाय इस बात से बेहद चिंतित है कि अगर लाकडाउन पूरी तरह से हटा लिया गया तो देश में महामारी का ग्राफ तेजी से बढ़ेगा। उनका कहना है कि यह बहुत बुरा समय है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में चिकित्सा सेवाओं के हालात काफी खराब हैं। ऐसे में महामारी ज्यादा फैलने पर मौत के आंकड़ों में भी तेजी आएगी।