13 जून को मुशर्रफ की थी सुप्रीम कोर्ट में पेशी बीते हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय ने मुशर्रफ को 25 जुलाई के आम चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अनुमति दे दी थी। अदालत ने यह अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वह 13 जून को लाहौर में अदालत के समक्ष पेश होंगे। अदालत ने कहा था कि मुशर्रफ के नामांकन पत्र की नियति का फैसला मौजूदा मामले के अंतिम निर्णय के अधीन होगा। अदालत ने यह भी कहा है कि उन्हें हाजिर होने पर गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। हालांकि, मुशर्रफ का चित्राल सीट से नामांकत्र पत्र इस सप्ताह की शुरुआत में जमा कर दिया गया। लेकिन पूर्व सैन्य शासक बुधवार को अदालत में हाजिर नहीं हुए।मुशर्रफ की यात्रा के लिए उनके पासपोर्ट व राष्ट्रीय पहचान पत्र की रुकावटों को दूर करने का आदेश देने के बावजूद वह अदालत में हाजिर नहीं हुए।
2016 में दुबई जाने के बाद नहीं लौटे मुशर्रफ मुशर्रफ के वकील ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल को अगर हिफाजत की गारंटी दी जाती है तो वह राजद्रोह के आरोपों का सामना करने को तैयार हैं। प्रधान न्यायाधीश निसार ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय मुशर्रफ की शर्तो से नहीं बंधा है।” उन्होंने कहा, “हमने पहले ही कहा है कि यदि मुशर्रफ वापस आते हैं, तो उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी। हम इस संबंध में लिखित गारंटी देने के लिए बाध्य नहीं हैं।”प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “अगर वह नहीं लौटते हैं तो उनके नामांकन पत्र की जांच की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि वह कमांडो हैं तो उन्हें अदालत में आना चाहिए।”उन्होंने कहा, “राजनेताओं की तरह उन्हें दावा नहीं करना चाहिए कि वह लौटेंगे।”मुशर्रफ के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल बीमार है और एक मेडिकल बोर्ड को उसकी जांच करनी है। प्रधान न्यायाधीश निसार ने कहा, “मुशर्रफ एयर एंबुलेंस से पाकिस्तान आ सकते हैं और हम एक मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश देंगे।” पूर्व राष्ट्रपति मार्च 2016 में दुबई जाने के बाद से पाकिस्तान नहीं लौटे हैं।