‘ईमानदार और सच्चे नहीं होने के कारण’ आयोग्य घोषित करने की थी मांग
दरअसल पाकिस्तान के शीर्ष कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, जिसमें इमरान खान को ‘ईमानदार और सच्चे नहीं होने के कारण’ अयोग्य करार देने की मांग की गई थी। इस याचिका के जवाब में अदालत ने टिप्पणी दी कि खान को बतौर राष्ट्रीय सभा के सदस्य (एमएनए) अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिका राष्ट्रीय सभा के पिछले कार्यकाल के दौरान दाखिल की गई थी, लेकिन उनका वो कार्यकाल अब पूरा हो चुका है।
मई 2017 में अधिवक्ता दानयाल चौधरी ने दायर की थी याचिका
यह याचिका अधिवक्ता दानयाल चौधरी ने मई 2017 में दाखिल की थी। उस वक्त शीर्ष अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक छह सदस्यीय संयुक्त जांच दल (जेआईटी) गठित किया था। बता दें कि तभी से यह याचिका अदालत के समक्ष लंबित थी। चौधरी ने जेआईटी के सदस्यों को इमरान खान के भाषणों से प्रभावित होने से बचाने के लिए एक विशेष शपथ की भी मांग की थी।
ये भी पढ़ें:- इमरान खान ने फिर साधा मोदी पर निशाना, लेकिन गिनाए भारत-पाक की दोस्ती के फायदे भी
इमरान के बयान से जांच दल को बचाने की भी मांग
इस याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया था कि खान को उन गतिविधियों से अलग रखा जाए जिससे जेआईटी सदस्यों पर प्रभाव पड़ सकता है। याचिका में कहा गया कि उनके भाषण और प्रेस में दिए बयान जांच दल को बरगला सकते हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया प्रभावित होने का खतरा है।