शीर्ष पद तक पहुंच बनाई यह अर्जी मोहम्मद अली नाम के एक व्यक्ति ने दी है, उसके अनुसार अहमद ने परिसर में अपने भाषण में दावा किया था कि पाकिस्तानी सेना इस चुनौती का सामना कर रही है कि आतंकवादियों की उसके शीर्ष पदों तक पहुंच है। अली ने आरोप लगाया कि नियाज अहमद ने कहा है कि एक आतंकवादी ने पाकिस्तान सेना में शीर्ष पद तक पहुंच बनाई थी। वास्तव में वह तालिबान के लिए काम कर रहा था और (2009) के स्वात अभियान के दौरान कई सैनिकों की हत्या की थी।
अली के मुताबिक कुलपति ने यह भी दावा किया कि स्वात में सेना का एक मेजर था जो तीन से चार बार छुट्टी पर गया और प्रत्येक समय उसने अपने सैनिकों से कहा कि तालिबान और सेना के बीच बनी एक सहमति के तहत वे तालिबान की गोलीबारी पर जवाबी कार्रवाई नहीं करें।
अली के मुताबिक कुलपति ने यह भी दावा किया कि स्वात में सेना का एक मेजर था जो तीन से चार बार छुट्टी पर गया और प्रत्येक समय उसने अपने सैनिकों से कहा कि तालिबान और सेना के बीच बनी एक सहमति के तहत वे तालिबान की गोलीबारी पर जवाबी कार्रवाई नहीं करें।
सभी आरोप आधारहीन हैं अली ने कहा कि कुलपति ने पाकिस्तानी सेना के शहीदों की वीरता की कहानियां सुनाने की बजाय एक घटना का जिक्र किया जिसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। विश्वविद्यालय के प्रवक्ता खुर्रम शाहजाद ने कहा कि कुलपति का आशय ऐसा कुछ नहीं था, जो सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाए। उन्होंने कहा कि कुलपति ने 1965 के युद्ध में पाक सेना के बलिदान पर प्रकाश डाला और उनके भाषण को संदर्भ से बाहर कर दिया गया क्योंकि उनके खिलाफ सभी आरोप आधारहीन हैं।