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पिघलेगी भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ, सिंधु जल समझौते के लिए मिलेंगे दोनों देशों के प्रतिनिधि

locationनई दिल्लीPublished: Aug 27, 2018 11:10:42 am

मार्च में नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर पहली बैठक हुई थी

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पिघलेगी भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर जमी बर्फ, सिंधु जल समझौते के लिए मिलेंगे दोनों देशों के अधिकारी

इस्लामाबाद। सिंधु जल मामले को लेकर भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों के बीच बातचीत अगले हफ्ते होगी। स्थाई सिंधु जल आयोग की बैठक 29-30 अगस्त को लाहौर में संपन्न होगी। पाकिस्तान में इमरान खान के नेतृत्व में बनने वाली नई सरकार के साथ होने वाली पहली आधिकारिक मुलाकात में भारत की और से पी के सक्सेना और पाकिस्तान की और से सैयद मेहर अली हिस्सा लेंगे। इनदोनों के अलावा स्थायी सिंधु आयोग (पीआईसी)की बैठक में दोनों देशों के अधिकारी शामिल होंगे और सिंधु जल मामले पर बात करेंगे।यह मुलाकात ‘सिंधु जल समझौते’ को लेकर काफी अहम मानी जा रही है।
नई सरकार के साथ पहली बातचीत

भारत की ओर से सिंधु जल आयुक्त पीके सक्सेना की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय दल इस बैठक में भाग लेने पाकिस्तान जाएगा। वहीं पाकिस्तान के कार्यकारी सिंधु जल आयुक्त सैयद मेहर अली शाह अपने देश के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। बता दें कि पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच यह किसी तरह का पहला संपर्क है। भारत और पाकिस्तान दोनों इस मुलाकात को सिंधु जल समझौते के तहत अहम मान रहे हैं। इस बैठक का समय भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।गौरतलब है कि यह बैठक इमरान खान के पीएम पद संभालने के ठीक एक हफ्ते बाद हो रही है।
क्या है स्थाई सिंधु जल आयोग

भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के पानी के बंटवारे को लेकर बनाए गए पर्मानेंट इंडस कमीशन (पीआईसी) में दोनों देशों के अधिकारी शामिल हैं। इस आयोग की बैठक हर साल होती है। गौरतलब है कि यह बैठक भारत और पाकिस्तान के बीच हुए 1960 के सिंधु जल समझौते का हिस्सा है। इसी समझौते के तहत तहत भारत, पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब नदी का पानी देता है।
इस साल की दूसरी बैठक

इस साल यह सिंधु जल आयोग की दूसरी बैठक है। इससे पहले मार्च में नई दिल्ली में दोनों देशों के बीच पहली बैठक हुई थी। इस बार होने वाली बैठक में पाकिस्तान चेनाब नदी में पर बनाए जा रहे भारत के विभिन्न बांधों पर अपनी आपत्ति जतायेगा। बता दें कि सीमा पार से होने वाले आतंकवादी हमलों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। उनके इस बयान के बाद भारत में सिंधु और अन्य सहायक नदियों से मिलने वाले पानी के पूर्ण इस्तेमाल का फैसला किया गए था।

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