पोप फ्रांसिस मंगलवार को राजधानी नेपीथा के लिए रवाना होंगे, जहां राष्ट्रपति हटिन क्याव और स्टेट काउंसिलर आंग सान सू की द्वारा उनका आधिकारिक रूप से स्वागत किया जाएगा। बुधवार को प्रार्थना सभा में हिस्सा लेंगे, जिसके बाद वह म्यांमार के बौद्धों की सर्वोच्च परिषद और अन्य बिशप से मुलाकात करेंगे। तो गुरुवार को कैथ्रेडल ऑफ सांता मारिया में बच्चों के लिए होने वाली प्रार्थना सभा में शामिल होंगे और उसके बाद सेना प्रमुख जनरल मिग आंग हलेंग से मुलाकात करेंगे।
रोहिंग्या मुद्दे पर चर्चा संभव
पोप का यह दौरा म्यांमार सेना द्वारा राखिने प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों पर सैन्य कार्रवाई के बाद उपजे मानवीय संकट के बीच हो रहा है। इस संकट की वजह से 620,000 रोहिंग्या देश छोड़कर बांग्लादेश भाग गए हैं। ऐसे में इस बात की पूरी उम्मीद है कि वो स्टेट काउंसिलर आंग सान सू से रोहिंग्या मुसलमानों के मसले पर चर्चा कर सकते हैं।
रोहिंग्या शरणार्थियों से कर सकते हैं मुलाकात
पोप फ्रांसिस म्यांमार के बाद गुरुवार को बांग्लादेश जाएंगे। वह 1986 के बाद ढाका की यात्रा करने वाले पहले कैथलिक नेता होंगे। कुछ विश्लेषकों के मुताबिक, पोप फ्रांसिस बांग्लादेश में मानवीय संकट के लिए मध्यस्थ की भूमिका भी निभा सकते हैं। वह बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के एक छोटे समूह से मुलाकात कर सकते हैं।
पोप के भारत नहीं आने से कैथोलिक उदास
दक्षिण एशियाई देशों के दौरे पर निकले पोप भारत नहीं आएंगे इस बात से भारत में मौजूद रोमन कैथोलिक ईसाईं उदास हैं। कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया के प्रमुख बिशप थिओडोर मास्कारेंहस ने कहा कि पोप के भारत नहीं आने से पूरा समाज काफी दुखी है। यह हमारे लिए बेहद शर्मनाक है कि पोप पड़ोस के छोटे छोटे देशों में जा रहे हैं लेकिन हम उनको भारत में बुलाने में सफल नहीं हुए। बता दें कि कैथोलिक बॉडी पोप को भारत बुलाना चाहती थी लेकिन इसमें वो सफल नहीं हो सके।
ISIS के निशाने पर पोप
बता दें कि पिछले साल आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने पोप को जान से मारने की धमकी दी थी। इसके बावजूद वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने क्रिसमस के भाषण के दौरान बुलेट प्रूफ जैकेट पहनने से इंकार कर दिया था। वेटिकन के प्रवक्ता ने कहा कि वह डरे नहीं हैं। पोप को आईएस की धमकी के बारे में सब पता है। लेकिन वे लोगों के साथ अपने संपर्क को टूटने देना नहीं चाहते हैं।