पाकिस्तान ही नहीं चीन भी जिम्मेदार
दरअसल, इस हमले के बाद आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर फिर से चर्चा में आ गया है। साथ ही उसका नाम भारत को उसे एक वैश्विक आतंकी की सूची में दर्ज कराने की विफलता भी फिर से चर्चा का विषय बन गया है। क्योंकि भारत के प्रयासों को हर बार पड़ोसी देश चीन ने रूकावट बनकर नाकामयाब किया है। चीन ही वो देश है जिसने हर बार संयुक्त राज्य सुरक्षा परिषद में भारत की ओर से रखी इस मांग के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। बता दें कि इस संबंध में पठानकोट इंडियन एयर फोर्स बेस पर जनवरी 2016 में हुए आतंकी हमले के बाद काफी जोर देकर मांग उठाई गई थी। फरवरी में भारत की ओर से रखे प्रस्ताव में संयुक्त राज्य सुरक्षा परिषद की 1267 कमिटी के तहत अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग रखी गई। लेकिन पाकिस्तान के इशारे पर चीन ने इस मांग में तकनीकी होल्ड लगा दी।
वीटो के इस्तेमाल से खड़ी की बाधा
चीन की ओर से पहले मार्च 2016 में बाधा डाली गई थी। इसके बाद अक्टूबर 2016 में फिर से चीन ने इसपर अपनी आपत्ति दर्ज की। यही नहीं, दिसंबर 2016 में तकनीकी होल्ड खत्म होने से एक दिन पहले चीन ने अपना वीटो पावर इस्तेमाल करते हुए इसे बिल्कुल अटका दिया। साल 2017 में फ्रांस और अमरीका की ओर से भी उठाए मांग के सामने भी चीन ने यही रवैया रखा। मुंबई पर हुए 26/11 हमलें के बाद से साल 2008-2009 से ही भारत ने यह मांग उठानी शुरु कर दी थी, लेकिन हर बार चीन ही रास्ते की रूकावट बना। चीन लगातार भारत को परेशान करने वाली नीतियां अपनाता रहा है। यही वजह है कि वो हर मुमकिन जगहों पर पाकिस्तान की मदद कर भारत के लिए बाधाएं पैदा करता रहा है।
आपको बता दें कि शुक्रवार को इस हमले पर चीन ने टिप्पणी की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग शुआंग ने शुक्रवार को कहा, ‘पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले की जानकारी पाकर हम स्तब्ध हैं। हम शहीदों के परिवारवालों के प्रति संवेदना जताते हैं। हालांकि इस बार भी जब मसूद का सवाल रखा गया तो उन्होंने कहा, ‘जहां तक इस मुद्दे के लिस्टिंग का सवाल है, मैं आपको कह सकता हूं कि सुरक्षा परिषद की 1267 कमिटी ने लिस्टिंग और आतंकी संगठनों पर अपनी प्रक्रिया और शर्तें साफ कर दी हैं। जैश-ए-मोहम्मद को सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध सूची में शामिल किया गया है। चीन इस मसले पर पहले की तरह जिम्मेदारपूर्ण तरीके से हैंडल करना जारी रखेगा।’
कौन है मसूद अजहर?
आपको बता दें कि इस सबसे बड़े आतंकी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद ने कश्मीरी न्यूज एजेंसी जीएनएस को एक टेक्स्ट मैसेज कर इस हमले की जिम्मेदारी ली। जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया वही मसूद अजहर है जो आज भारत के लिए नासूर बन चुका है। मसूद अजहर ने इससे पहले भी देश में कई बड़े हमले करा अपने नापाक मंसूबे कामयाब किये हैं। इससे पहले साल 2016 में हुए पठानकोट एयरबेस आतंकी हमले और सितंबर 2016 में हुए उरी हमले का भी मास्टर माइंड मसूद ही रहा है। पठानकोट आतंकी हमले से पहले मसूद अजहर का नाम भारत में पहली बार वर्ष 1994 में सुना गया था। यही नहीं मसूद अजहर वही आतंकी है जिसे साल 1999 में एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी814 की हाइजैकिंग के समय भारत ने छोड़ दिया था। दरअसल, साल 1994 में भारत सरकार ने श्रीनगर से उसकी गिरफ्तारी की, लेकिन साल 1999 में भारत को उसे एयर इंडिया फ्लाइट की हाइजैकिंग के बाद रिहा करना पड़ा। भारत की संसद पर हुए आतंकी हमले के पीछे भी उसका हाथ माना जाता है।