प्रचंड का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब ओली अपनी कुर्सी कुछ महीने और बचाने के लिए नवंबर-दिसंबर में पार्टी के आम सभा की बैठक बुलाने को लेकर तैयार हैं। गौरतलब है कि दोनों पक्षों के बीच एक अंतरिम डील हुई थी और कहा गया था कि पार्टी की आम सभा की बैठक नवंबर/दिसंबर में हो सकती है। इसमें ओली प्रचंड को पार्टी अध्यक्ष के लिए समर्थन देंगे।
माधव कुमार नेपाल ने जताई आपत्ति इस डील के बाद से ज्यादा विवाद होने लगा है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल (Madhav kumar Nepal) का आरोप है कि पर्दे के पीछे गुपचुप तरह से ओली और प्रचंड के बीच ये समझौता हो गया है। इसके बाद प्रचंड के हवाले से कहा गया कि बिना तैयारी के आम सभा की बैठक बुलाना सही नहीं है। पार्टी की विचारधारा समेत कई मुद्दों पर समाधान की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मौजूदगी में समझौते यादव के अनुसार ओली ने पार्टी के आम सभा की बैठक बुलाने का प्रस्ताव दिया है। उन्होंने एक शर्त रखी है कि पीपल्स मल्टी पार्टी डमोक्रेसी को पार्टी की विचारधारा के रूप में अपनाया जाए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को ओली और प्रचंड के बीच राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी की मौजूदगी में समझौते पर सहमति बनी है। उधर, रविवार को प्रचंड विरोधी माधव कुमार नेपाल खेमे को मनाने में जुटे रहे। माधव कुमार के खेमे का मानना है कि ओली के इस्तीफे की मांग छोड़कर प्रचंड ने उन्हें धोखा दिया है।
कामकाज को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे गौरतलब है कि ओली और प्रचंड के बीच बीते कई दिनों से बैठकों का दौर जारी है। ओली से लगातार मांग की जा रही है वह अपने पद से इस्तीफा दें। उनके कामकाज को लेकर लगातार सवाल उठाए जा रहे थे। मगर शनिवार और रविवार को हुई बैठक के बाद इस्तीफे की मांग पीछे हो गई और नवंबर और दिसंबर में आम सभा की बैठक को लेकर चर्चा शुरू हो गई। इसे लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं और प्रचंड के बीच तीखी बहस हुई। इस दबाव में आए प्रचंड ने नेताओं से कहा कि उन्होंने कोई आम सभा की बैठक को लेकर समझौता नहीं किया है। यह केवल एक प्रस्ताव था।