पूर्व चुनाव कराने का आह्वान किया यह संकट तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को हटा दिया और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को नियुक्त कर दिया। गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया और पांच जनवरी को समय पूर्व चुनाव कराने का आह्वान किया। हालांकि,उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के फैसले को पलट दिया और आकस्मिक चुनाव की तैयारियों पर रोक लगा दी। विक्रमसिंघे ने कहा कि सरकार में सभी ने संविधान के रक्षा की शपथ ले रखी थी।
सभी दलों के बीच सर्वसम्मति होनी चाहिए सिरिसेना ने कहा कि वह संविधान की रक्षा करना चाहते हैं और संविधान का पालन करना चाहते हैं। उन्होंने कहा है कि हिटलर और दूसरे तानाशाहों की तरह मत बनिए,जिसने जनमत संग्रह का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि जहां तक चुनाव की बात है, उन्हें बस दो चिंताएं हैं। वैध सरकार होनी चाहिए तथा चुनाव की तारीख पर सभी दलों के बीच सर्वसम्मति होनी चाहिए।