समाचार चैनल इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में शरणार्थी कैंपों में रह रहे रोहिंग्या मुसलमान हिंदुओं से दिन में पांच बार जबरन नमाज पढ़वा रहे हैं। वहीं हिंदू महिलाओं के सिंदूर को मिटा कर उनकी चुड़ियां तोड़ रहे हैं।
भारतीय मीडिया में चल रही रिपोर्ट के मुताबिक रबिया नाम की महिला ने बताया कि उनका पहले नाम पूजा था। बांग्लादेश में राहत कैंपों में रहने वाले रोहिंग्या मुसलमान जबरन उनका धर्म परिवर्तन करवा दिया। इसके साथ ही उनकी माथे का सिंदूर मिटा कर उनकी चूड़ियां तोड़ दी गईं।
रबिया ने बताया कि वो रोहिंग्या हिंदू हैं और म्यांमार से पलायन करके बांग्लादेश शरण के लिए आई हैं। उन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि म्यांमार हिंसा में उसके पति की मौत हो गई थी। उसके बाद वो बांग्लदेश आईं और सोचा यहां उन्हें राहत मिलेगी लेकिन पूरा मामला उल्टा पड़ गया।
उन्होंने बताया कि कुछ रोहिंग्या मुसलमान उनको जंगल में ले गए। इसके बाद उन्होंने उनकी चुड़ियां तोड़ दी और माथे का सिंदूर मिटा दिया। फिर उनको बुर्का पहनाया गया और तीन हफ्ते तक इस्लामिक रीति रिवाज सिखाया गया। उन्होंने कहा कि मैं जिंदा रहना चाहती थी, इस वजह से मैंने धर्म परिवर्तन कर लिया। रबिया के मुताबिक उनके अलावा कई हिंदू महिलाओं को रोहिंग्या मुसलमानों ने निशाना बनाया है।
रोहिंग्या आतंकियों ने मारे 28 हिंदू, कब्र मिली
वहीं दूसरी ओर म्यांमार की सेना ने दावा किया है कि हिंसाग्रस्त क्षेत्र रखाइन स्टेट से 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिली है। सेना के दावों के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों ने इन हिंदुओं का कत्ल किया है। हालांकि स्वतंत्र तौर पर म्यांमार सेना के इस दावे की पुष्टि नहीं हो पाई है।
वहीं दूसरी ओर म्यांमार की सेना ने दावा किया है कि हिंसाग्रस्त क्षेत्र रखाइन स्टेट से 28 हिंदुओं की सामूहिक कब्र मिली है। सेना के दावों के मुताबिक रोहिंग्या मुस्लिम आतंकियों ने इन हिंदुओं का कत्ल किया है। हालांकि स्वतंत्र तौर पर म्यांमार सेना के इस दावे की पुष्टि नहीं हो पाई है।
सेना प्रमुख की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए बयान में कहा गया कि सुरक्षा सदस्यों को 28 हिंदुओं के शव मिले और उन्हें निकाला गया। पोस्ट के मुताबिक रखाइन राज्य में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी के आतंकियों ने काफी क्रूर और हिंसक तरीके से इन हिंदुओं की हत्या की है। बीते 25 अगस्त को रखाइन प्रांत में रोहिंग्या आतंकियों ने पुलिस चौकियों को निशाना बनाया था। इसके अलावा यहां एक सांप्रदायिक हिंसा को अंजाम दिया गया था। इसके बाद म्यांमार की सेना ने इन पर कार्रवाई की।