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SCO सम्मेलन: भारत की कूटनीति से चारों खाने चित हुआ पाकिस्तान, हर मोर्चे पर लगा तगड़ा झटका

locationनई दिल्लीPublished: Jun 16, 2019 12:31:54 pm

Submitted by:

Mohit Saxena

SCO सम्मेलन ने आतंकवाद के खिलाफ जंग को ताकत दी
पीएम नरेंद्र मोदी के रुख ने दुनिया को दिया बड़ा संदेश
पाक के इतिहास को देखकर उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता

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SCO सम्मेलन भारत की कूटनीतिक जीत, आतंकवाद को लेकर पाक को मिला तगड़ा सबक

नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के दो दिवसीय शिखर सम्मेलन ने दक्षिण एशिया में शांति चाहने वालों की उम्मीदें बढ़ा दी हैं। पीएम नरेंद्र मोदी की कूटनीति से पाकिस्तान चित है। मोदी ने इस सम्मेलन में पाक की ओर इशारा कर आतंकवाद के मुद्दे को सबसे आगे रखा। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने ही होंगे। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान का पूर्व रिकॉर्ड बड़ा खराब रहा है। ऐसे में रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद अभी कम ही है।

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क्या नई शुरुआत कर पाएगा SCO?

इस फोरम से भारत ने एक बार फिर आतंकवाद पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उसका कहना है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद को समर्थन और पनाह देना बंद नहीं करता है तब तक पड़ोसी के साथ बातचीत मुमकिन नहीं है। जनवरी 2016 में भारत के पठानकोट एयरबेस पर हमला, पुलवामा में आत्मघाती हमला दर्शाता है कि पाकिस्तान अपना छद्म युद्ध जारी रखेगा। मगर भारत ने पाक को दो टूक संदेश दिया है कि जब तक वह जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तयब्बा जैसे आतंकी संगठनों पर पुख्ता कार्रवाई नहीं करता है, तब तक मेल-मिलाप की कोई गुंजाइश नहीं है।

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इमरान खान लगातार बातचीत का आग्रह कर रहे

पीएम मोदी ने अपने शपथग्रहण समारोह में इस बार पाकिस्तान को न्योता नहीं दिया। इसके बावजूद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान लगातार बातचीत का आग्रह कर रहे हैं। उन्होंने पहले पीएम को फोन और ट्वीटर पर बधाई दी। इसके बाद पत्र लिखकर बातचीत की शुरुआत करने को कहा। मगर पाकिस्तान की गतिविधियों के कारण उसकी नीयत पर सवाल उठते हैं। बीते दिनों दिनों जम्मू-कश्मीर में सीमा रेखा पर पाकिस्तान की ओर से फायरिंग बढ़ गई है। पाक की गोलीबारी में भारत का एक जवान शहीद भी हो गया।

इमरान ने किया जम्मू-कश्मीर का अप्रत्यक्ष जिक्र

पाकिस्तान के लिए कश्मीर मुद्दा सबसे अहम रहा है। हर मौके पर वह इसे उठाने की कोशिश करता है। मगर इस बार इमरान ने कश्मीर का प्रत्यक्ष जिक्र नहीं किया। हालांकि उन्होंने इशारों-इशारों में अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर का अप्रत्यक्ष जिक्र किया और कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के हर रूप की निंदा करता है, इसमें सरकार प्रायोजित आतंकवाद भी शामिल है।

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बातचीत के बहाने धोखे का इतिहास

पाकिस्तान का इतिहास रहा कि वह भारत से एक तरफ बातचीत का ढोंग रचता है। वहीं दूसरी तरफ वह आतंकी घटना के सहारे भारत को नुकसान पहुंचाने में लगा है। इस कड़ी की शुरुआत पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की चर्चित लाहौर बस यात्रा से ही शुरू हुई। बस यात्रा के कुछ ही महीनों के बाद पाकिस्तान ने करगिल का युद्ध छेड़ दिया। इसके बाद पाक ने भारत पर कई आतंकी हमले भी करवाए। मुंबई हमला, संसद भवन हमला, पठानकोट अटैक जैसी घटनाएं पाकिस्तान के बदनीयत इरादों की ओर इशारा करतीं हैं। पाकिस्तान अब इतना बदनाम हो चुका है कि उसे आतंकवद का पर्याय समझा जाता है। ऐसे में मोदी की कूटनीति कितनी असरदार होती है, यह पाकिस्तान का रुख तय करेगा।

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