आपको बता दें कि नूरजहां शाहरुख खान की चचेरी बहन हैं। साल 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान शाहरुख के पिता मीर ताज मोहम्मद दिल्ली आ गए थे। लेकिन चाचा गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान में ही रहने का फैसला किया। गुलाम मोहम्मद के दो बेटे (मंसूर खान और मकसूद खान) और एक बेटी (नूर) हैं। 1978 में शाहरुख पहली बार अपने पिता के साथ पेशावर पहुंचे थे। जहां उनकी मुलाकात नूर से हुई। इसके बाद नूर 1997 में पहली बार मुंबई आई थीं।
शाहरुख की तरह मिलेगा प्यार
नूरजहां पेशावर के मोहल्ला शाह वाली कतल से हैं, जहां उन्होंने अपना चुनावी अभियान भी शुरू कर दिया है। आम चुनाव लड़ने से पहले नूर जहां पार्षद भी रह चुकी हैं और बीते कुछ सालों से राजनीति में सक्रिय हैं। नूह का मानना है कि जिस तरह पाकिस्तान में शाहरुख खान को सम्मान मिलता है उसी तरह उनकी बहन होने के नाते पेशावर की आवाम उन्हें अपने कीमत वोट के जरिये उन्हें भी समर्थन देगी।
पड़ोसियों का काम आती हैं नूर
शाह वली कतल इलाके में रहने वाले नूरजहां की तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते हैं। यही वजह है कि नूर जहां को चुनाव में पड़ोसियों का पूरा समर्थन हासिल है। यही नहीं पड़ोसियों का कहना है कि नूर जहां का वक्त अच्छा हो या बुरा वे हर पल सबके साथ रहती हैं। नूर जहां महिला सशक्तीकरण के लिए काम करना चाहती हैं। वह अपने चुनावी क्षेत्र की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहती हैं।