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दिल्ली में ही नहीं लाहौर में भी जहरीली हुई हवा, स्मॉग का कहर

Published: Nov 06, 2016 02:52:00 pm

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भारत की राजधानी दिल्ली के साथ ही पाकिस्तान में भी स्मॉग का कहर देखने को मिल रहा है।

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लाहौर। भारत की राजधानी दिल्ली के साथ ही पाकिस्तान में भी स्मॉग का कहर देखने को मिल रहा है। पर्यावरण से जुड़े कार्यकर्ता और विशेषज्ञों के अनुसार इस वायु प्रदूषण ने पिछले कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

पश्चिमी पंजाब में फसले जलाने की वजह से बढ़ा स्मॉग

नासा का कहना है कि पश्चिमी पंजाब में फसलों को जलाने की वजह से दिल्ली और लाहौर में ये भारी स्मॉग देखा जा रहा है। फसलों में आग लगाए जाने की वजह से थर्मल उत्सर्जन की मात्रा भी बढ़ती जा रही है। पूर्वी और पश्चिमी पंजाब में फसलों को उगाने के दो प्रमुख मौसम होते हैं। एक सीजन मई से शुरू होकर सितंबर तक जाता है और दूसरे नवंबर से लेकर अप्रेल तक चलता है। मई और नवंबर में पंजाब के किसान अगले मौसम के लिए फसलें और सब्जियों को उगाने का काम करते हैं। मगर बीज बोने से पहले खेतों में आग लगाकर पुरानी फसल को साफ किया जाता है।

फसलों के जलाने पर भी लगाए जाएगी रोक

इस मुद्दे पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। पर्यावरणविद अलीम भट्ट कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि ये स्मॉग फसलों को जलाने की वजह से हैं। फसलों के जलाने पर अभी रोक लगनी चाहिए मगर इसके साथ ही जहरीली गैसों को छोडऩे वाले कोयल के पॉवर प्लांट्स पर भी रोक लगनी चाहिए। कलमा अंडरपास और ओरेंज लाइन से बहुत से पेड़ों को काट दिया गया। फसलों को खूंटी से जलाने की जगह उनके डंठलों को निकालना है। पर्यावरणविद और विशेषज्ञ नोमन अशरफ कहते हैं कि अभी तक पर्यावरण संरक्षण एजेंसी की लेबोरेटरी ऑपरेशनल नहीं हैं। हमें कारखानों को अपराधी बताने से पहले किसी पुख्ता सबूत की जरूरत है। अशरफ कहते हैं कि फसलों को जलाया जाना कोई नया नहीं है। पिछले कई दशकों से किसान बुआई करने से पहले अपनी पुरानी फसलों में आग लगा रहे हैं।

गेंहू के डंठलों को बेचने की बजाय जला रहे हैं किसान

मगर इस साल पूर्वी पंजाब के किसान अपना एग्रीकल्चर कचरा भी जला रहे हैं क्योंकि इस कचरे को बायोमॉस पौधों को उचित कीमत नहीं दी गई। पहले ये किसान गेंहू की डंठल को बॉयोमास पौधों के लिए बेचा करते थे। ओकारा क्षेत्र के एक किसान ने बताया कि इन डंठलों को जमीन से निकालना बहुत मुश्किल होता है। हमारे लिए इन्हे जलाना ज्यादा आसान होता है। पर्यावरण संरक्षण संस्था के प्रवक्ता नसीम्मुर रहमान शाह कहते हैं कि मुझे नहीं लगता कि फसले जलाने की वजह से ये स्मॉग फैला है। ये सभी कुछ क्लाइमेट चेंज की वजह से हो रहा है। ये दुनियाभर में हो रहा है।
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