एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार- संसद में पूर्ण बहुमत प्राप्त तीन पार्टियों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट से यह भी अपील की कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को पद से हटाने के सिरीसेना के 26 अक्टूबर के फैसले को अवैध करार दिया जाए।
बता दें, सिरीसेना की ओर से विक्रमसिंघे की जगह पूर्व राजनीतिक दिग्गज महिंदा राजपक्षे को नियुक्त किए जाने के बाद से श्रीलंका संवैधानिक संकट पैदा हो गया था। एक इंटरव्यू में श्रीलंका के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद भंग किए जाने को संविधान की अवहेलना और 19वें संशोधन का उल्लंघन करार दिया था। हालांकि विक्रमसिंघे ने लोगों और लोकतंत्र पर विश्वास जताते हुए फिर से जनादेश लेने की बात कही है।
अपनी पार्टी, यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की सीरीसेना-राजपक्षे गठजोड़ से हर मोर्चे पर लड़ने की तैयारी की बात करते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि जनवरी 2019 में होने वाले आम चुनाव के लिए कोई भी तैयार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि हा कि- “हमने चुनाव की तैयारियों को लेकर कोर ग्रुप से बातचीत की है। चुनाव आयोग की ओर से भी कुछ क्षेत्रों में प्रोविजनल चुनाव की तैयारियां की जा रही हैं। किंतु उनकी पार्टी राष्ट्रीय चुनाव के लिए तैयार नहीं है।’ उन्होंने कहा कि- “हम ही नहीं, कोई भी पार्टी चुनाव के लिए तैयार नहीं है।’
बता दें, बर्खास्त प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसंघे की पार्टी यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के पास 106 सीटें हैं और बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने के लिए उन्हें सिर्फ सात सीटें चाहिएं। उन्होंने दावा किया है कि राष्ट्रपति ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि 72 वर्षीय राजपक्षे के पास सदन में बहुमत नहीं है।