संसद ने बुधवार की सुनाग वोटिंग के दौरान को महिंदा राजपक्षे सरकार के खिलाफ वोट किया। श्रीलंका में पिछले कुछ दिनों से जारी राजनीतिक उथल-पुथल के बीच यह सबसे महत्वपूर्ण घटना है। इससे पहले सोमवार को श्रीलंका के सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग करने के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना के फैसले को पलट दिया था। कोर्ट ने इसके साथ ही 5 जनवरी को प्रस्तावित मध्यावधि चुनाव की तैयारियों पर रोक लगाने का आदेश दिया था। बता दें कि सिरिसेना ने संसद भंग करने और देश में ने चुनाव करने का आदेश दे दिया था। संसद के इस फैसले से सिरिसेना द्वारा नियुक्त प्रधानमंत्री राजपक्षे को तगड़ा झटका लगा है। जबकि इस फैसले से रानिल विक्रमसिंघे को बड़ी ताकत मिली है।
श्रीलंका की 225 सदस्यीय संसद बुधवार को हुए मतदान में संसद ने महिंदा राजपक्षे के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भारी बहुमत से पारित कर दिया। स्पीकर कारु जयसूर्या ने इसकी घोषणा करने हुए कहा कि संसद के बहुसंख्यक सदस्यों ने राजपक्षे के खिलाफ वोट किया है। इससे पहले राष्ट्रपति सिरिसेना ने 26 अक्टूबर को रानिल विक्रमसिंघे को बर्खास्त करते हुए महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। जब इस फैसले का विरोध हुआ तो सिरीसेना ने पहले संसद को स्थगित किया। बाद में उन्होंने स्थगन तो हटा लिया लेकिन वह शुरू से संसद की कार्रवाई से बचते रहे। इससे पहले श्रीलंका संसद के स्पीकर ने भी साफ़ कह दिया था कि वह राजपक्षे को पीएम के रूप में मान्यता नहीं देंगे और इस बारे में अंतिम फैसला सदन के पटल पर ही होगा।