19 से 25 सितंबर के बीच आम सभा सत्र मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सू की के 19 से 25 सितंबर के बीच आम सभा सत्र में शामिल होने की संभावना थी।संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, कम से कम 3,70,000 रोहिंग्या अल्पसंख्यक गत 25 अगस्त से म्यांमार में फैली हिंसा के बाद अबतक बांग्लादेश भाग चुके हैं जिसका मतलब है प्रतिदिन 20,000 रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश जा रहें हैं। संयुक्त राष्ट्र मानवधिकार प्रमुख जैद राड अल हुसैन ने सोमवार को कहा था कि म्यांमार सैना की कार्रवाई ‘नस्ली सफाया करने का किताबी उदाहरण’ है जिसका म्यांमार सेना ने खंडन किया था।
रोहिंग्या मुद्दे को लेकर सभा में नहीं होंगी शामिल सू की की पूरे दुनियाभर में रोहिंग्या मुद्दे पर काफी आलोचना हो रही है,खासकर उन्होंने मानवधिकार से जुड़े मामलों पर काफी काम किया था जिसके लिए उन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।सीएनएन की रपट के अनुसार, मानवधिकार मामलों के पूर्व अमरीकी सचिव टॉम मेलिनोवसकी ने कहा था कि वह रोहिंग्या संकट पर सू की के प्रतिक्रिया से बेहद दुखी हैं।
मलाला ने भी हिंसा रोकने की मांग की नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त कर चुके दलाई लामा,डेसमेंस टुटू और मलाला यूसफजाई ने भी उनसे हिंसा रोकने की मांग की है। संयुक्त राष्ट्र में म्यांमार के प्रतिनिधि ने रोहिंग्या उग्रवादियों को रखेन प्रांत की हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि उनका देश इस तरह के अत्याचार बर्दाश्त नहीं करेगा।
शेख हसीना ने शांति की अपील की बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा, “मेरा निजी संदेश बेहद साफ है कि उन्हें इस स्थिति को मानवीय आधार पर देखना चाहिए क्योंकि ये लोग, बच्चे, महिलाएं बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।” उन्होंने कहा, “ये लोग म्यांमार के हैं, पिछले 100 वर्षो से ये लोग वहां रह रहें हैं, कैसे वे लोग इस बात से इंकार कर सकते हैं कि रोहिंग्या उनके नागरिक नहीं हैं।