अफगानिस्तान में चीन और पाकिस्तान के हस्तक्षेप से तालिबान को कोई परेशानी नहीं है। कंगाली से जूझ रहा तालिबान खुद चाहता है कि चीन उसके देश में आगे होकर सक्रियता दिखाए। तालिबान ने यह भी कहा कि चीन नए अफगानिस्तान के निर्माण में भाग ले सकता है और जरूरी क्षेत्रों में हमारी मदद कर सकता है।
तालिबान ने यह बात कह कर खुद भारत की उन चिंताओं को सिरे से खारिज कर दिया, जो इस क्षेत्र में बीजिंग की बड़े पैमाने पर निवेश परियोजनाओं से बढ़ी है। चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा कि भारत की कुछ चिंताएं उचित नहीं हैं और न ही हम उन्हें स्वीकार करते हैं।
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अफगानिस्तान से सटे अमरीकी और नाटो सैनिकों की वापसी के बाद तालिबान सरकार आने वाले छह महीनों में संकटग्रस्त देश में बड़े निवेश के लिए चीन की ओर देख रही है। उसे उम्मीद है कि ऐसे वक्त में चीन उसका एकमात्र और बड़ा सहारा है, जब उस पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। हालांकि, चीन की ओर से भी उसे इस बात का भरोसा दिलाया गया है। चीन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह तालिबान सरकार में अफगानिस्तान के सभी पहलुओं का सम्मान करेगा। तालिबानी प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा कि हमें अफगानिस्तान के पुननिर्माण पर ध्यान केंद्रीत करने की जरूरत है। अब जब चीन हमारे लोगों के लिए रोजगार पैदा करने के लिए अफगानिस्तान के निर्माण में हमारी मदद करने के लिए आगे आया है तो इसमें गलत क्या है।
अफगानिस्तान में आबादी का बड़ा हिस्सा तालिबान के आने से पहले भी मानवीय मदद पर निर्भर था। जब से तालिबान आया है मदद पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ गई है। देश में काम और धंधे ठप पड़ गए हैं। साथ ही नकदी की भी कमी हो गई है, जिसकी वजह से लोग अपने घरों का सामान बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं हैं और सामान रखकर खाने का सामान बाजार से ला रहे हैं।
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