तालिबान ने यह मांग रखी थी कि वह भारतीय इंजीनियरों को तभी रिहा करेगा जब उनके साथियों को रिहा किया जाएगा। इस वाकये के बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान कंधार विमान अपहरण की घटना याद आती है, जब यात्रियों को बचाने के लिए मॉस्ट वान्टेड आतंकी मसूद अजहर के साथ अहमद ज़रगर और शेख अहमद उमर सईद को रिहा किया गया था।
बता दें कि तीनों भारतीय इंजीनियरों को बीते साल मई में अफगानिस्तान के बघलान प्रांत से अगवा किया गया था। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने तालिबान के दो सदस्यों के हवाले से सोमवार को अपनी रिपोर्ट में बताया है कि रविवार को दोनों पक्षों की ओर से सदस्यों का अदला-बदली किया गया। हालांकि रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि किस स्थान पर किया गया। इससे पहले मार्च 2019 में एक इंजीनियर को तालिबान ने रिहा कर दिया था।
रिपोर्ट में यह भी जिक्र नहीं है कि छोड़े गए तालिबानी सदस्य किसके कैद में थे, अमरीकी बलों के या फिर अफगान सेना के?
फिलहाल रिहा किए गए भारतीय इंजीनियरों की पहचान सार्वजनिक नहीं की गई है। साथ ही इस पूरे मामले को लेकर अफगानिस्तान सरकार की ओर से कोई बयान नहीं आया है।
तालिबान के दो शीर्ष कमांडरों को भी छोड़ा गया
आपको बता दें कि तालिबान के जिन 11 सदस्यों को छोड़ा गया उसमें से दो शीर्ष कमांडर हैं। दोनों कमांडरों की पहचान शेख अब्दुर रहीम और मावलवी अब्दुर रशीद के तौर पर हुई है।
बताया जा रहा है कि ये दोनों अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान कुनार और निम्रोज प्रांत के गवर्नर थे। तालिबान ने रिहा किए जाने वाले सदस्यों के स्वागत की तस्वीरें जारी की है।
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गौरतलब है कि मई 2018 में बघलान प्रांत के बाग-ए-शमल इलाके में 7 भारतीय इंजीनियरों और उनके एक अफगान ड्राइवर का अपहरण किया गया था। वे सभी भारतीय कंपनी केईसी के लिए काम कर रहे थे। सभी का अपहरण उस दौरान हुआ जब वे मिनी बस से बिजली स्टेशन जा रहे थे।
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