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दक्षिण चीन सागर में खत्म होगा चीन का वर्चस्व? हांगकांग पहुंचा अमरीकी युद्धपोत रोनाल्ड रीगन

locationनई दिल्लीPublished: Nov 22, 2018 12:15:09 pm

साउथ चाइना सी के ऊपर पर बमवर्षक भेजने के एक दिन बाद अमरीका ने हांगकांग में अपना विमान वाहक युद्धपोत भेज दिया है

USS Ronald Reagan

दक्षिण चीन सागर में खत्म होगा चीन का वर्चस्व ? हांगकांग पहुंचा अमरीकी युद्धपोत रोनाल्ड रीगन

हांगकांग। दक्षिण चीन सागर पर चीनी वर्चस्व को खत्म करने के लिए अमरीका ने कमर कस ली है। साउथ चाइना सी के ऊपर पर बमवर्षक भेजने के एक दिन बाद अमरीका ने हांगकांग में अपना विमान वाहक युद्धपोत भेज दिया है। दक्षिण चीन सागर पर अमरीकी बी -52 लड़ाकू विमानों की एक जोड़ी के उड़ान भरने के बाद अमरीका ने विवादित दक्षिण चीन सागर के हांगकांग में बुधवार को यूएसएस रोनाल्ड रीगन को तैनात कर दिया है।

दक्षिण चीन सागर में बमबर्षक

एशियाई वित्तीय केंद्र में यूएसएस रोनाल्ड रीगन के आने से अमरीका और चीन के बीच जारी तनाव के गहराने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि अमरीकी युद्धपोत का आगमन एक अन्य अमरीकी नौसेना जहाज द्वारा हांगकांग आने के लिए चीन की अनुमति न मिलने के बाद हुआ है। चीन के इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव भड़क गया था। चीन ने दक्षिण चीन सागर द्वीप के पास अमरीका से सभी प्रकार की सैन्य गतिविधि तुरंत रोकने की मांग की है। चीन का आरोप है कि अमरीका इस क्षेत्र में तेजी से मजबूत हो रहा है। बता दें कि सितंबर के अंत में एक चीनी विध्वंसक दक्षिण चीन सागर में अमरीका के पोत यूएसएस डीकैचर के करीब आया था, जिसे अमरीकी नौसेना ने “असुरक्षित और गैर-व्यावसायिक हस्तक्षेप” कहा था।

क्यों आया रोनाल्ड रीगन

अमरीकी नौसेना ने एक बयान में कहा कि खेल, सामुदायिक संबंध परियोजनाओं और इस रीजन में पर्यटन के माध्यम से हांगकांग के नागरिकों के साथ व्यापक संपर्क की योजना बनाई गई है। कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 5 के कमांडर रियर एडम कार्ल ओ थॉमस ने कहा, “हांगकांग में प्रचुर मात्रा में विकास और समृद्धि हुई है जो संयुक्त राज्य अमरीका में बेहद कौतुहल का विषय है। इसलिए अमरीकी सातवें बेड़े ने इस महत्वपूर्ण क्षेत्र को दुनिया के सभी देशों के लिए संरक्षित करना चाहता है।” इस बीच अमरीकी प्रशांत वायु सेना ने सोमवार को दक्षिण चीन सागर पर दो बी -52 बमवर्षक उड़ान भरने के लिए भेजे। अमरीकी नौसेना ने इसे नियमित प्रशिक्षण मिशन कहा है। नौ सेना के बयान में कहा गया है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राज्य अमरीका की स्वतंत्र और खुली हिन्द -प्रशांत महासागर नेवीगेशन के प्रति दीर्घकालिक वचनबद्धता को दर्शाता है।

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