कहा,अमरीका से बिना छल-प्रपंच के बातचीत जरूरी
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अमरीका के साथ अच्छे माहौल में बातचीत जरूरी है, लेकिन वह पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। ताकि हर चीज हमारे सामने हो। इसके लिए पाक-अमरीका के बीच की गलतफहमियों को दूर करना भी शामिल है। पाक और अमरीका के बीच सबसे बड़ा फर्क भारत के बारे में राय को लेकर है। अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान और अमरीका के बीच बिना छल-प्रपंच के बेहतर माहौल में बातचीत हो।
रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि अमरीका के साथ अच्छे माहौल में बातचीत जरूरी है, लेकिन वह पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। ताकि हर चीज हमारे सामने हो। इसके लिए पाक-अमरीका के बीच की गलतफहमियों को दूर करना भी शामिल है। पाक और अमरीका के बीच सबसे बड़ा फर्क भारत के बारे में राय को लेकर है। अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान और अमरीका के बीच बिना छल-प्रपंच के बेहतर माहौल में बातचीत हो।
अमरीका पाकिस्तान को बना रहा है कुर्बानी का बकरा
खान ने कहा कि वॉशिंगटन पाकिस्तान को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहा है कि भारत से उसे कोई खतरा नहीं है, इसलिए इस्लामाबाद को भारत के प्रति अपने रूख में बदलाव करना चाहिए। लेकिन हकीकत हकीकत है, पाकिस्तान के प्रति भारत की नीयत दुश्मनी वाला है। भारत ने पाकिस्तान की सीमा पर सेना और हथियार सब कुछ ज्रमा कर रखा है। नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन और पाक नागरिकों की हत्या के मामले में 2017 सबसे खतरनाक वर्ष रहा। पाकिस्तान को कुर्बानी का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि अमरीका अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध नहीं जीत पा रहा है। उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि पाकिस्तान और इसके लोगों की शहादत को याद करें, जिन्होंने 2001 के बाद से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में योगदान किया है।
खान ने कहा कि वॉशिंगटन पाकिस्तान को विश्वास दिलाने का प्रयास कर रहा है कि भारत से उसे कोई खतरा नहीं है, इसलिए इस्लामाबाद को भारत के प्रति अपने रूख में बदलाव करना चाहिए। लेकिन हकीकत हकीकत है, पाकिस्तान के प्रति भारत की नीयत दुश्मनी वाला है। भारत ने पाकिस्तान की सीमा पर सेना और हथियार सब कुछ ज्रमा कर रखा है। नियंत्रण रेखा पर उल्लंघन और पाक नागरिकों की हत्या के मामले में 2017 सबसे खतरनाक वर्ष रहा। पाकिस्तान को कुर्बानी का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि अमरीका अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध नहीं जीत पा रहा है। उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि पाकिस्तान और इसके लोगों की शहादत को याद करें, जिन्होंने 2001 के बाद से आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में योगदान किया है।