डॉन अखबार की खबर के मुताबिक, हक्कानी ने 2008 से 2011 तक राजूदत के रूप में अपनी सेवाएं दी थीं। हक्कानी को इस मामले में उनकी कथित भूमिका के कारण पद से बर्खास्त कर दिया गया था। संघीय जांच एजेंसी ने हक्कानी को पकड़ने के लिए इंटरपोल से रेड वॉरंट जारी करने के लिए कहा है। हक्कानी मेमोगेट मामले में अदालत द्वारा पेश होने के आदेश के बाद भी पेश नहीं हुए।
कोर्ट ने विदेश जाने की दी थी मंजूरी तीन जनवरी 2013 को हक्कानी ने चार दिनों में वापसी का हलफनामा दिया जिसपर अदालत ने उन्हें विदेश जाने की मंजूरी दे दी और वह पाकिस्तान से चले गए। हालांकि उसके बाद वह देश लौटकर वापस नहीं आए और अदालत के साथ अपनी प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया। चार जून 2013 को अदालत ने सरकार को उन्हें वापस लाने का निर्देश दिया अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल वकार राना ने पहले कहा था कि हक्कानी को अमेरिका से वापस लाने के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे।
तीन सदस्यीय पीठ का गठन इस कदम पर हक्कानी ने ट्विटर पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुखद है कि पाकिस्तान की शीर्ष अदालत स्थानीय टीवी समाचार कवरेज के लिए ऐसी हरकतें कर रही है। उन्होंने कहा, “अतीत में ऐसे राजनीतिक वारंटों को विदेशों में नहीं माना जाता, जो अब भी काम नहीं करेगा।”एक फरवरी को शीर्ष अदालत ने इस विवादास्पद मामले की सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय पीठ का गठन किया था।