script

पाक राष्ट्रपति ने कहा- अपने से तीन गुना बड़ी भारतीय सेना को हराया

Published: Sep 06, 2015 09:47:00 pm

पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने
रक्षा दिवस के मौके पर कहा, 1965 के भारत-पाक युद्ध में
पाकिस्तान ने अपने से तीन गुना बड़ी सेना को धूल चटाई

mamnoon hussain

mamnoon hussain

नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने रक्षा दिवस के मौके पर इशारों-इशारों में कहा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान ने अपने से तीन गुना बड़ी सेना को धूल चटाया था। जबकि पाकिस्तान के जाने माने इतिहासकार डॉ. एस अकबर जैदी ने पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि 1965 की लड़ाई में पाकिस्तान की करारी हार हुई थी। यही नहीं, इस जंग के में पाकिस्तान ने अपनी जमीन तक गंवानी पड़ी थी। जैदी ने कहा कि पाकिस्तान के इतिहास पर सवाल उठाने की जरूरत हैं। 1965 के युद्ध के 50 साल पूरे होने के मौके पर पाकिस्तान ने रविवार को देश भर में कार्यक्रमों का आयोजन किया था।

क्याा था युद्ध का सच
युद्ध में पाकिस्तान के ऑप्रेशन डेजर्ट हॉक और ऑप्रेशन जिब्राल्टर पर जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने हाजीपीर और टेटवाल पर कब्जा कर लिया और वहां भारत का झंडा लहराया। पाकिस्तान के हाथों से उसकी यह जमीन ही चली गई थी। बौखलाए पाक ने छम्ब पर हमला बोला और अखनूर पर कब्जे के लिए हमला बोला। भारतीय फौजों ने पश्चिमी पाकिस्तान पर लाहौर का लक्ष्य कर हमले किए। लेकिन तीन हफ्तों तक चली लड़ाई के बाद दोनों देश संयुक्त राष्ट्र की पहल पर युद्धविराम को सहमत हो गए।


पाक ने उकसाया था

पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी भी स्वीकार करते हैं कि पाकिस्तान ने भारत को युद्ध के लिए उकसाया था। पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान भी युद्ध नहीं चाहते थे। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा भी था कि वे युद्ध के खिलाफ हैं। वे शांति को भंग नहीं करना चाहते। पाकिस्तान विदेश मंत्री जुçल्फ्कार अली भुट्टो ने पाकिस्तानी प्रेसिडेंट अयूब खान को उकसाया था। भुट्टो अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करके पाकिस्तानी राजनीति में अपनी जगह बनाना चाहते थे। खैर पाकिस्तान की सोच ने युद्ध का रूप इख्तियार कर ही लिया।

पाक ने क्या सोचकर युद्ध किया
– पाकिस्तान ने अपनी सामरिक शक्ति को ज्यादा आंका। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को कमजोर मानते हुऎ समझा कि वे युद्ध को झेलने में असमर्थ होंगे।
– 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध की हार से भारत अभी उबर रहा था। पाकिस्तान को लगा कि भारत अशक्त है और सामना नहीं कर सकेगा।
– पाकिस्तान को लगता था कश्मीरी आवाम भारत से आजादी चाहती है, अगर ऎसे में वह उनकी मदद करेगा तो कश्मीर को पाकिस्तान में आने से कोई नहीं रोक सकता।


ताशकंद समझौता

आखिरकार वह समय आया जब संयुक्त राष्ट्र की पहल पर दोनों देश युद्ध विराम को राजी हुए। रूस के ताशकंद में भारतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खां के बीच 10 जनवरी, 1966 को समझौता हुआ। जिसमें एक घोषणापत्र पर दोनों ने दस्तखत किए। इसके तहत दोनों नेताओं ने सारे द्विपक्षीय मसले शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का संकल्प लिया। दोनों नेता अपनी-अपनी सेना को अगस्त, 1965 से पहले की सीमा पर वापस बुलाने पर सहमत हो गए। लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद समझौते के एक दिन बाद ही रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई।

अमरीका ने किया हस्तक्षेप
6 सितंबर 1965 को भारत पाकिस्तान के बीच की वास्तविक सीमा रेखा इच्छोगिल नहर को पार करके भारतीय सेना पाकिस्तान में घुस गई। भारतीय सेना लाहौर हवाई अड्डे के नजदीक पहुंच गई। यहां एक रोचक वाकया हो गया। अमरीका ने भारत से अपील की कि कुछ समय के लिए युद्धविराम किया जाए ताकि वो अपने नागरिकों को लाहौर से बाहर निकाल सके। भारतीय सेना ने अमरीका की बात मान ली वरना लाहौर तक भारत का कब्जा होता।

युद्ध परिणाम पर नजर
– भारतीय सेना के करीब 3000 और पाकिस्तान के करीब 3800 जवान मारे गए।
– भारत ने युद्ध में पाकिस्तान के 3900 वर्ग किलोमीटर इलाके और पाकिस्तान ने भारत के 650 वर्ग किलोमीटर इलाके अपने कब्जे में ले लिए थे।
– भारत ने पाकिस्तान के जिन इलाकों पर जीत हासिल की, उनमें सियालकोट, लाहौर और कश्मीर के कुछ अति उपजाऊ क्षेत्र भी शामिल थे।
– दूसरी तरफ पाकिस्तान ने भारत के छंब और सिंध जैसे रेतीले इलाकों पर कब्जा किया।
– क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो युद्ध के इस चरण में भारत फायदे में था और पाकिस्तान नुकसान में।
– भारत के 128 जबकि पाक के 150 टैंक बर्बाद हुए।
– भारत ने 4073 हवाई हमले किये जबकि पाक ने 2279 हमलो का दावा किया

ट्रेंडिंग वीडियो