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आसिया बीबी मामला: क्या है ईशनिंदा कानून, क्यों सुलग उठा है पाकिस्तान ?

धवार को ईशनिंदा मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को आरोप मुक्त करते हुए बरी कर दिया था

Nov 01, 2018 / 03:10 pm

Siddharth Priyadarshi

आसिया बीबी मामला: क्या है ईशनिंदा कानून, क्यों सुलग उठा है पाकिस्तान ?

लाहौर। ईशनिंदा के मामले में एक ईसाई महिला आसिया बीबी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। बुधवार को ईशनिंदा मामले में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को आरोप मुक्त करते हुए बरी कर दिया था। उसके बाद पाकिस्तान के कई शहरों में फैसले के खिलाफ बवाल शुरू हो गया। बुधवार देर शाम तक मामला इस कदर बिगड़ गया कि खुद पीएम इमरान को हालात पर काबू करने के लिए सामने आना पड़ा। फिलहाल अब भी पाकिस्तान के कई इलाकों में स्थित तनावपूर्ण बनी हुई है।

पाकिस्तान में इसे समुदाय की महिला आसिया बीबी पर इस्लाम का अपमान करने का आरोप था। 2010 में आसिया बीबी को दोषी करार दिया गया था। उन्हें निचली अदालत द्वारा मौत की सजा दी गई थी। लेकिन आसिया बीबी ने खुद को बेकसूर बताया था। बुधवार को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ईशनिंदा की दोषी ईसाई महिला आसिया बीबी की फांसी की सजा को पलटते हुए उसे बरी कर दिया। आइए एक नजर डालते है कि यह ईशानिंदा कानून क्या है?

क्या है ईशनिंदा कानून

पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन के 1860 में बनाए गए ईशनिंदा कानून से निकला है। पाकिस्तान के सैन्य शासक जनरल जिया-उल-हक ने इसमें कुछ संसोधन किए और इसमें कुछ नई धाराएं जोड़कर कुरान और पैगंबर मोहम्मद के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखा गया। कानून के मुताबिक दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा या मौत की सजा हो सकती है।1986 में ईश निंदा कानून में नई धारा 295-सी जोड़ी गई और पैगंबर मोहम्मद के अपमान को अपराध की श्रेणी में रखा गया जिसके लिए आजीवन कारावास या सजा ए मौत का प्रावधान था। 1991 में एक मामले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तान की एक शरिया अदालत ने ईशनिंदा की लिए आजीवन कारावास की सजा को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने फैसला दिया कि पाकिस्तान पीनल कोड के सेक्शन 295-सी के तहत आजीवन कारावास की सजा का विकल्प इस्लाम की शिक्षाओं के खिलाफ है।कोर्ट ने निर्देश दिया कि पैगंबर मोहम्मद के अपमान के अपराध के लिए केवल मौत की सजा का प्रावधान हो।

आसिया बीबी के पहले अब तक किसी को भी ईशनिंदा के मामले में फांसी की सजा नहीं हुई। ज्यादातर मामलों में पाया गया कि इस तरह के मामले झूठे थे। ईशनिंदा के आरोपों और शिकायतों की वजह निजी या राजनीतिक दुश्मनी थी। पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों के खिलाफ ईशनिंदा के ज्यादातर मामले दर्ज किए गए। एक आंकलन की अनुसार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ पाकिस्तान में अब तक कम से कम 702 मामले दर्ज किए गए है।

आसिया बीबी का मामला

आसिया बीबी का मामला जून 2009 का है। मजहब से ईसाई आसिया ने एक मुस्लिम महिला की गिलास से पानी पी लिया। इस पर मुस्लिम महिलाएं भड़क गईं। पानी को लेकर मुस्लिम महिलाओं का आसिया से खूब झगड़ा हुआ। बताया जाता है कि इसी दौरान आसिया ने पैगंबर मोहम्मद और ईसा मसीह की तुलना कर दी। इसके बाद उनके खिलाफ ईशनिंदा के तहत पैगंबर मोहम्मद के अपमान का मामला दर्ज करा दिया गया। 2010 में एक निचली अदालत ने उनको मौत की सजा सुनाई थी जिसे पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पलट दिया और आसिया बीबी को बरी कर दिया गया। उनको बारी किए जाने के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए।

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