पाकिस्तान चुनाव: वोट के खेल में सबसे बड़ी खिलाड़ी है सेना, तय करेगी लोकतंत्र का भविष्य कुछ ऐसा है सूरत-ए-हाल पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में 342 सीटें हैं जिनमें से 70 सीटें आरक्षित हैं। पिछले चुनाव में पीएमएल-एन को 170 सीटें मिलीं थीं। सहयोगी पार्टियों की सीटें मिलने की बाद पीएमएल-एन के पास संसद में 189 हो गई थीं। इसके अलावा पीपीपी को 45, तहरीक को 33 और अन्य दलों को 94 सीटों पर जीत मिली थी। साल 2018 के चुनाव में पाकिस्तान में इस बार लड़ाई कुछ सीधी नजर आ रही है। नवाज शरीफ के जेल जाने के बाद पाकिस्तान की राजनीतिक फिजा कुछ बदली सी नजर आ रही है। जिन वोटरों ने पिछले चुनाव में नवाज पर भरोसा जताया था वह इस बार इमरान खान को समर्थन देने की बात कर रहे हैं।
पंजाब है अहम सूबा पाकिस्तान के चुनाव में पंजाब का अहम रोल रहता है। पंजाब प्रांत में जिस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलती हैं वही पार्टी देश पर राज करती है। पंजाब पाकिस्तान का सबसे ज्यादा आबादी वाला सूबा है। नेशनल एसेंबली की कुल 272 सीटों में से 147 पंजाब में है। पंजाब को नवाज शरीफ का गढ़ माना जाता है लेकिन इस बार पार्टी की हालत वहां काफी खराब है। भितरघात और कई सदस्यों के निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह से नुकसान झेलना पड़ सकता है।
ये हैं बड़े खिलाड़ी इमरान खान 65 साल के पूर्व क्रिकेटर का दावा इन चुनावों की लिए सबसे पुख्ता है। इमरान ने पिछले चुनाव के बाद भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन छेड़ा था। नवाज शरीफ को पीएम पद छोड़ने की लिए बाध्य करने वाले इमरान इस बार प्रमुख नेता की तौर पर उभरे हैं। इमरान को सेना का समर्थन भी हासिल है। इसके अलावा वह कटटरपंथियों और आतंकियों की भी पसंद बताये जा रहे हैं क्योंकि वह चरमपंथियों को देश की मुख्य धरा में शामिल किये जाने की मांग उठा चुके हैं। इमरान खान गरीबी, बिजली आपूर्ति, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार और भ्रष्टाचार पजैसे कुछ वादों के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, जो पाकिस्तान की बदहाली की सबसे बड़ी वजहें मानी जाती हैं।
शहबाज शरीफ नवाज शरीफ के छोटे भाई शहबाज शरीफ इन चुनावों में अपने भाई के अनुपस्थित होने के बाद राष्ट्रीय राजनीति में आए। नवाज शरीफ के अयोग्य करार दिए जाने के बाद पीएमएल-एन की कमान संभालने वाले शहबाज 10 साल से पंजाब के सीएम रहे हैं।
बिलावल भुट्टो पूर्व पीएम बेनजीर भुट्टो के बेटे बिलावल भुट्टो पाकिस्तान की राजननीति की उभरते सितारे हैं। उनके पिता आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। वर्तमान में बिलावल पीपीपी के अध्यक्ष है। हालांकि राष्ट्रीय राजनीति में उन्हें अधिक गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है लेकिन अपनी राजनितिक विरासत की चलते वह किसी चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं। देश में अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे बिलावल पार्टी के मुख्य चेहरे हैं। बिलावल के लिए यह चुनाव परीक्षा माना जा रहा है।
पाकिस्तान चुनाव: आतंक के साए में बदतर होते हालात, किस तरफ वोट करेगा अल्पसंख्यक समुदाय हाफिज सईद मुंबई के 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की मिल्ली मुस्लिम लीग पंजीकरण न होने की वजह से मैदान से बाहर है। लेकिन हकीकत में इसके अधिसंख्य उम्मीदवार अल्लाह-ओ-अकबर-तहरीक पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहे है। अल्लाह-ओ-अकबर-तहरीक पार्टी अपने पोस्टर्स में हाफिज सईद की तस्वीरों का इस्तेमाल कर रही है। पाकिस्तान के धार्मिक रूप से कट्टर समुदायों के बीच हाफिज सईद काफी लोकप्रिय है और वह ऐसे समुदायों की वोटों पर प्रभाव डाल सकता है।