तीन महीने से भी कम समय में दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात है। भारत और चीन के बीच विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की यह मुलाकात वेस्ट लेक स्टेट गेस्टहाउस में G-20 सम्मेलन के दौरान हुई है। दोनों देशों के बीच मतभेद का विषय बने मुद्दों में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी शामिल है जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है।
इसके अलावा दोनों के बीच पीओके में बन रहे चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर को लेकर चर्चा हुई। इसके अलावा न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (NSG) में भारत की सदस्या और आतंकवाद के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। बता दे कि मोदी जी-20 समिट में हिस्सा लेने के बाद वियतनाम से सीधे चीन पहुंचे। 5 सितंबर को मोदी बराक ओबामा से मिलेंगे।
मोदी और जिनपिंग की इन मुद्दों पर हुई चर्चा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच बाइलेटरल टॉक में कई मुद्दों पर बातचीत हुई है। मोदी ने कहा-‘भारत किर्गिस्तान में चीन एम्बेसी पर हुए आतंकी हमले की निंदा करता है।’ NSG में भारत की मेंबरशिप को लेकर नए सिरे बातचीत की गई। बता दे कि एनएसजी मेंबरशिप चीन की वजह से भारत को नहीं मिल पाई थी। चीन ने भी पाकिस्तान के साथ मिलकर NSG में भारत की मेंबरशिप का विरोध किया था। चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर पर भारत की चिंता। 46 अरब डॉलर का ये कॉरिडोर पीओके में गिलगित-बल्तिस्तान से गुजरने वाला है। मोदी जैश-ए-मोहम्मद को यूएन से टेरर आउटफिट डिक्लेयर कराना चाहते हैं। चीन ने पिछली बार इसमें रोड़ा अटकाया था। ट्रेड बैलेंस भी चर्चा का हिस्सा रहा। जी-20 में भारत टेरर फाइनेंसिंग और टैक्स चोरी रोकने समेत कई मुद्दे उठे।
चीन और भारत के बीच कई मुद्दों पर तनाव
मोदी वियतनाम से सीधे चीन पहुंचे हैं। साउथ चाइना सी पर भारत वियतनाम के साथ है। चीन इस मुद्दे पर भारत को वार्निंग भी दे चुका है। भारत ने अरुणाचल में सुखोई और ब्रम्होस तैनात कर दिए हैं। चीन को इस पर ऐतराज है। भारत और अमरीका ने डिफेंस सेक्टर में अब तक सबसे बड़ी डील की है। चीन और पाकिस्तान इसको लेकर परेशान हैं। भारत चीन से ट्रेड बैलेंस की मांग करता रहा है। भारत की हिस्सेदारी बढ़ाने पर चीन हमेशा चुप रहा है। उसका इंट्रेस्ट सिर्फ एक्सपोर्ट बढ़ाने पर है।