हिन्दू धर्म में नवरात्र साल में दो बार मनाया जाता है। दीपावली से ठीक पहले मनाई जाने वाली नवरात्र को शारदीय नवरात्र कहते हैं और अभी यानी ग्रीष्म आरंभ होने से पहले मनाया जाने वाली नवरात्र को चैत्र नवरात्र या वासन्ती नवरात्र’ कहते हैं। दोनों ही नवरात्रों का अपना विशेष महत्व और पूजा-विधि अलग-अलग है।
Chaitra Navratri 2021: क्यों बदल जाते हैं हर बार मां के वाहन और क्या है उनका महत्व?
चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। पहला दिन मां शैलपुत्री, दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी, तीसरा दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठे दिन मां कात्यायनी, सातवें दिन मां कालरात्रि, आठवें दिन मां महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है।
ये हैं नवरात्रि पूजा की सामग्री
आपको बता दें कि नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना के साथ होती है। कलश स्थापना और पूजा के लिए विशेष प्रकार की तैयारी की जाती है। इस तैयारी के लिए खास सामग्री की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं कि मां दुर्गा के पूजा-अर्चना के लिए किस-किस विशेष सामग्री की जरूरत पड़ती है?
पूजा के लिए मां दुर्गा की प्रतिमा या फोटो, सिंदूर, केसर, कपूर, कंघी, कंगन-चूड़ी, धूप,वस्त्र, दर्पण, सुगंधित तेल, चौकी के लिए लाल कपड़ा, पानी वाला जटायुक्त नारियल, दुर्गासप्तशती किताब, बंदनवार आम के पत्तों का, पुष्प, दूर्वा, मेंहदी, बिंदी, सुपारी साबुत, पटरा, आसन, पांच मेवा, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, घी, लोबान, गुग्गुल, लौंग, कमल गट्टा, सुपारी, हवन कुंड, चौकी, रोली, मौली, पुष्पहार, बेलपत्र, कमलगट्टा, दीपक, दीपबत्ती, नैवेद्य, शहद, शक्कर, पंचमेवा, जायफल, लाल रंग की गोटेदार चुनरीलाल रेशमी चूड़ियां, आम के पत्ते, लंबी बत्ती के लिए रुई या बत्ती, अगरबत्ती, माचिस, कलश, साफ चावल, कुमकुम,मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल ,फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी, लाल झंडा, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, दुर्गा चालीसा व आरती की किताब, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ आदि।
Chaitra Navratri 2021: इस बार क्या है मां का वाहन और क्या है उनकी महत्ता?
मां को सिर्फ चुनरी न चढ़ाएं
हिन्दू शास्त्रों के मुताबिक, मां दुर्गा को सिर्फ चुनरी नहीं चढ़ानी चाहिए। मां को लाल चुनरी बहुत पसंद है। वे लाल चुनरी चढ़ाने वाले भक्तों पर प्रसन्न होती हैं और आर्शीवाद देती हैं। इसलिए, चुनरी के साथ सिंदूर, नारियल, पंचमेवा, मिष्ठान, फल, सुहाग का सामान चढ़ाना चाहिए। मां दुर्गा को चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, महावर, बिंदी, काजल चढ़ाना चाहिए।
यदि आप नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाना चाहते हैं तो पीतल या मिट्टी का दीया साफ कर लें। जोत के लिए रूई की बत्ती, रोली या सिंदूर, चावल जरूर रखें। जबकि हवन के लिए हवन कुंड, लौंग का जोड़ा, कपूर, सुपारी, गुग्ल, लोबान, घी, पांच मेवा और अक्षत की सामग्री पास में रखें। हवन के बिना मां की पूजा अधूरी भी मानी जाती है।