जानिए कैसे हुई भगवान विष्णु की उत्पत्ति, गुरुवार को ऐसे करें उनकी पूजा, नारायण दूर करेंगे हर संकट
ऐसी मान्यता है कि जो सच्चे मन से भगवान विष्णुजी की पूजा करता है कि उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों का नाश होता है।
धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते है।
आइए जानते हैं भगवान विष्णु की उत्पत्ति कैसी हुई और उनकी पूजा कैसे की जाती है।

हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो सच्चे मन से भगवान विष्णुजी की पूजा करता है कि उनकी सभी कष्ट दूर होते हैं और पापों का नाश होता है। विवाह न होना, आर्थिक समस्या का होना और मानसिक शांति जैसी समस्याएं हैं तो ऐसे में गुरुवार के दिन कुछ आसान से उपाय करें जिनसे मनोकामना जरूर पूरी होगी। हिंदू धार्मिक ग्रंथों की मान्यताओं के अनुसार, धरती पर बढ़ते पापों को खत्म करने के लिए भगवान खुद संसार में अवतार के रूप में प्रकट होते है। आइए जानते हैं भगवान विष्णु की उत्पत्ति कैसी हुई और उनकी पूजा कैसे की जाती है।
ऐसे हुई भगवान विष्णु जी की उत्पत्ति
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शंकर जी ने ही विष्णु जी को उत्पन्न किया। एक बार शिव जी ने पार्वती से कहा कि एक ऐसा पुरुष होना चाहिए जो सृष्टि का पालन कर सके। शक्ति के प्रताप से विष्णु जी का आर्विभाव हुआ। वह अद्वितीय थे। कमल जैसे नयन, चतुर्भुजी और कौस्तुकमणि से सुशोभित। सर्वत्र व्यापक होने के कारण उनका नाम विष्णु पड़ा। कथा के अनुसार भगवान शंकर ने कहा कि लोगों को सुख देने के लिए ही मैंने तुमको उत्पन्न किया है। कार्य साधना के लिए तुम तप करो। लेकिन शंकर जी के दर्शन नहीं हुए। फिर तप किया। क्या देखते हैं कि उनके शरीर से तमाम जल धाराएं बह निकलीं। हर तरफ पानी-पानी हो गया। तभी उनका एक नाम नारायण पड़ा। उन्हीं से सब तत्वों की उत्पत्ति हुई। कथानुसार, सबसे पहले प्रकृति की उत्पत्ति हुई। फिर तीन गुण आए-सत, रज और तम। उसके बाद शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध की उत्पत्ति हुई। फिर पंचभूत की उत्पत्ति हुई।
यह भी पढ़े :— नारियल के चमत्कारी उपायों से चुटकी में दूर होंगी सभी बाधाएं और होगी धन की वर्षा
भगवान विष्णु का स्वरूप
भगवान विष्णु की सवारी गरुड़ है। इनके एक हाथ में कौमोदकी गदा है।
जबकि दूसरे हाथ में पाञ्चजन्य शंख है।
तीसरे हाथ में सुदर्शन चक्र और चौथे हाथ में कमल है।
भगवान श्रीहरि विष्णु जी के दसावतार
1. मत्स्य,
2. कूर्म,
3. वराह,
4. भगवान नृसिंह,
5. वामन,
6. श्रीराम,
7. श्रीकृष्ण,
8. परशुराम,
9. बुद्ध,
10. कल्कि
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए ये उपाय करें...
— गुरुवार के दिन स्नान के बाद पीला वस्त्र धारण करें।
— किसी चौकी पर साफ वस्त्र बिछाकर उस पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा स्थापित करें।
— भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें।
— भगवान विष्णु को पीले फूल और पीले फल का भोग लगाएं।
— इसके बाद भगवान को धूप व दीप दिखाएं और विष्णु जी की आरती जरूर करें।
— गुरुवार के दिन केले के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है।
— भगवान विष्णु के किसी भी मंत्र का जाप करें।
Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें (Hindi News App) Get all latest Astrology and Spirituality News in Hindi from Politics, Crime, Entertainment, Sports, Technology, Education, Health, Astrology and more News in Hindi