मोक्षदा एकादशी 2020: समस्त पाप नष्ट करता है इस दिन का व्रत
जानें मोक्षदा एकादशी 2020 का व्रत मुहूर्त,पूजा विधि, महत्व व कथा...

मोक्षदा एकादशी का तात्पर्य है मोह का नाश करने वाली। इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी कहा गया है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हर माह दो एकादशी व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में। मार्गशीर्ष मास मके शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते हैं।
मान्यता के अनुसार द्वापर युग में इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में गीता ज्ञान दिया था। अत: इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। मोक्षदा एकादशी के दिन मानवता को नई दिशा देने वाली गीता का उपदेश हुआ था। मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है।
इस साल मोक्षदा एकादशी 25 दिसंबर, 2020 (शुक्रवार) को है, वहीं इस बार मोक्षदा एकादशी व क्रिसमस डे एक ही दिन पड़ रहे हैं।
मोक्षदा एकादशी व्रत मुहूर्त...
पारणा मुहूर्त :08:32:00 से 09:16:03 तक 26, दिसंबर को
अवधि :0 घंटे 44 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय :08:32:00 पर 26, दिसंबर को
मोक्षदा एकादशी व्रत की पूजा विधि
मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण, महर्षि वेद व्यास और श्रीमद् भागवत गीता का पूजन किया जाता है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है:
1. व्रत से एक दिन पूर्व दशमी तिथि को दोपहर में एक बार भोजन करना चाहिए। ध्यान रहे रात्रि में भोजन नहीं करें।
2. एकादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
3. व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान श्री कृष्ण की पूजा करें। उन्हें धूप,दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। वहीं रात्रि में भी पूजा और जागरण करें।
4. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को पूजन के बाद जरुरतमंद व्यक्ति को भोजन व दान-दक्षिणा देनी चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण करके व्रत खोलना चाहिए।
मोक्षदा एकादशी का महत्व और गीता जयंती
इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उन्हें कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है। वहीं इस व्रत को करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अजुर्न को गीता का संदेश दिया था, इसलिए इस उपलक्ष्य में मोक्षदा एकादशी पर गीता जयंती मनाई जाती है। श्रीमद् भागवत गीता एक महान ग्रंथ है।
गीता ग्रंथ सिर्फ लाल कपड़े में बांधकर घर में रखने के लिए नहीं है बल्कि उसे पढ़कर उसके संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। भागवत गीता के चिंतन से अज्ञानता दूर होती है और मनुष्य का मन आत्मज्ञान की ओर अग्रसर होता है। इसके पठन-पाठन और श्रवण से जीवन को एक नई प्रेरणा मिलती है। वहीं इस दिन श्रीमद् भागवत गीता, भगवान श्रीकृष्ण और महर्षि वेद व्यास का विधिपूर्वक पूजन करके गीता जयंती उत्सव मनाया जाता है।
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में देखा कि उसके पिता नरक में दुख भोग रहे हैं और अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहे हैं। अपने पिता की यह दशा देखकर राजा व्याकुल हो उठा। प्रात: राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न का भेद पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा कि- हे राजन! इस संबंध में पर्वत नामक मुनि के आश्रम पर जाकर अपने पिता के उद्धार का उपाय पूछो। राजा ने ऐसा ही किया।
जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी तो वे चिंतित हो गए। उन्होंने कहा कि- हे राजन! पूर्वजन्मों के कर्मों की वजह से आपके पिता को नर्कवास प्राप्त हुआ है। अब तुम मोक्षदा एकादशी का व्रत करो और उसका फल अपने पिता को अर्पण करो, तो उनकी मुक्ति हो सकती है। राजा ने मुनि के कथनानुसार ही मोक्षदा एकादशी का व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन, दक्षिणा और वस्त्र आदि अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद व्रत के प्रभाव से राजा के पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई।
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