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डिजिटल इंडिया योजना के सपनों पर संकट के बादल, शुरू होने से पहले ही लगा पलीता

locationऔरैयाPublished: Aug 11, 2018 01:27:04 pm

Submitted by:

Mahendra Pratap

जनपद मेें देश की वर्तमान केंद्र सरकार ने 20 अगस्त 2014 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दी।

Digital India Plan Cloud of crisis on dream in up

डिजिटल इंडिया योजना के सपनों पर संकट के बादल, शुरू होने से पहले ही लगा पलीता

औरैया. गांवों तक इलेक्ट्रॉनिक सेवाओं का पहुंचना, गांवों में सुशासन के अवसर बढ़ना, जैसी योजना के उद्देश्य को लेकर देश की वर्तमान केंद्र सरकार ने 20 अगस्त 2014 को डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को मंजूरी दी। 1 जुलाई 2015 को देश के 25000 गांवों को डिजीटली करण करने की योजना का श्री गणेश भारत संचार निगम लिमिटेड के बैनर तले शुरू हुआ था और 2019 तक पूरे देश के गांवों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया।

ग्रामीणों को वाईफाई सुविधा देने की व्यवस्था

भारत संचार निगम लिमिटेड ने 3700 करोड़ की लागत वाली परियोजना का लाभ देश की ग्रामीण जनता को देने के लिए पहले चरण में केवल बिछाकर इंटरनेट सिस्टम की मशीनें लगाकर ग्रामीणों को वाईफाई सुविधा देने की व्यवस्था की गई। भारत संचार निगम लिमिटेड इटावा द्वारा 471 पंचायतों को इंटरनेट की सुविधा देने का लक्ष्य रखा गया है। चौपाल बनाने का काम शुरू किया योजना के तहत जनपद औरैया की अजीतमल तहसील के अंतर्गत कई गांवों में ग्रामीणों को इंटरनेट की सुविधा का लाभ देने के लिए प्राइमरी स्कूलों में इंटरनेट सिस्टम को लगाया गया।

गांवों के लोगों को ई-चौपाल का लाभ मिलने से पहले ही योजना चोरों के रडार पर आ गई है। इंटरनेट सिस्टम चोरी की हकीकत को परखने के लिए जब रिपोर्टर ने स्कूलों में लगी मशीनरी को देखा तो वहां सिर्फ दीवालों में लगे खाली डिब्बे ही नजर वहां लगी मशीनरी को चोरों ने पार कर दिया। चोरों ने जहां प्राइमरी स्कूलों से इंटरनेट सिस्टम को पार किया। इसके साथ ही साथ में कहीं कहीं स्कूलों के कार्यालय व रसोईघर का ताला तोड़ कर मिड डे मील बनाने का भी सामान भी चोरी कर ले गए।

मशीन के अवशेष अपनी बयां कर रहे थे बदहाली की दासता

बीते महीने भर से अधिक के अंतराल में चोरों ने अजीतमल कोतवाली के प्राथमिक विद्यालय उम्मेदपुर, प्राथमिक विद्यालय बेरी धनकर, प्राथमिक विद्यालय भदसान, प्राथमिक विद्यालय हजरतपुर, प्राथमिक विद्यालय चकसत्तापुर आदि स्कूलों में लगे इंटरनेट सिस्टम की मशीनों को पार कर दिया। स्कूल की दीवालों पर लगे मशीन के अवशेष अपनी बदहाली की दासता बयां कर रहे थे। चोरी के संबंध में संबंधित विद्यालय के प्रधानाचार्य से जानकारी का प्रयास किया गया तो उन्होंने चोरी की घटना की सूचना पुलिस को देने की बात की लेकिन स्कूलों में इंटरनेट सिस्टम किसने ओर क्यों लगाया इस पर अनभिज्ञता जाहिर की।

आखिर प्राइमरी स्कूलों में इंटरनेट सिस्टम लगने के बाद इनकी निगरानी की जिम्मेदारी किसे सौपी गई। यह सवाल योजना के क्रियान्वयन पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। क्या बिना निगरानी और सुरक्षा के चलते ई-चौपाल की सुविधा का लाभ ग्रामीणों को मिल सकेगा यह आने वाला समय ही बताएगा।

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