पर्यावरण का ध्यान रखना बेहद जरूरी उनका मानना है कि राज्य की जलवायु और परिस्थितिकी को नजरअंदाज कर भीषण गर्मी में पेड़ो के अस्तित्व को जीवित रख पाना असंभव है। उनका कहना है कि पर्यवरण का असली महत्व तब है, जब हम व्रक्षों के जीवन को अपने बच्चों की परवरिश की तरह करें। विश्व पर्यावरण दिवस पर घूरा अर्थार्त खाद डालने का
कार्य किया जाए और 1 जुलाई से 7 जुलाई तक चलने वाले वृक्षारोपण सप्ताह में व्रक्षो को रोपित किया जाए। तब कही जाकर पर्यावरण दिवस की सार्थकता साबित होगी। कुशवाहा पौधशाला के मालिक बाबूराम बताते है कि आज के पर्यावरण दिवस पर महज औपचारिकता ही हुई है, जो केवल दिखावे के तौर पर पौधों की खरीददारी करते हैं। पूरे दिन बमुश्किल 100 पौधे ही बिक्री हुए।
पर्यावरण दो शब्दों को मिलाकर बना है। परि यानी कि जो हमारे चारों ओर है और आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं। पर्यावरण को साफ सुथरा बनाने की बात तो हर कोई करता है, लेकिन इसकी जिम्मेदारी कुछ ही लोग उठाते हैं। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कई कारण हैं। प्लास्टिक, जल प्रदूषण, वायू प्रदूषण और अब तो गर्मी की प्रकोप भी। पेड़ पौधों को गर्मी के प्रकोप से बचाने का उपाय है कि घर में पौधे लगाए जाएं।