जनपद के एरवाकटरा क्षेत्र में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक महिला के प्रसव के दौरान लापरवाही बरतने पर उसके बच्चे की मौत हो गई पीड़ित परिजनों ने आरोप लगाया कि सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बिल्कुल चौपट हैं। मरीजों को उपचार के लिए प्राइवेट अस्पतालों का सहारा लेना पड़ता है। पीड़ित महिला के साथ ही परिजनों ने कसम खा ली है कि अब सरकारी अस्पताल में घर के किसी भी सदस्य का इलाज नहीं कराएंगे।
कभी खून की कमी तो कभी दवाइयों का टोटा
ग्रामीणों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सरकारी सहायता का लाभ मरीजों को नहीं मिलता है। यहां कभी खून की कमी तो कभी दवाओं का टोटा रहता है। इससे बेहतर है कि मरीज को प्राइवेट अस्पताल में ही भर्ती कराया जाए, ताकि उसकी जान तो सलामत रहे। ग्रामीणों ने कसम लेते हुए कहा कि अब वह कभी भी सरकारी अस्पताल में अपने मरीजों को भर्ती नहीं कराएंगे।
ग्रामीणों का आरोप है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सरकारी सहायता का लाभ मरीजों को नहीं मिलता है। यहां कभी खून की कमी तो कभी दवाओं का टोटा रहता है। इससे बेहतर है कि मरीज को प्राइवेट अस्पताल में ही भर्ती कराया जाए, ताकि उसकी जान तो सलामत रहे। ग्रामीणों ने कसम लेते हुए कहा कि अब वह कभी भी सरकारी अस्पताल में अपने मरीजों को भर्ती नहीं कराएंगे।
हे भगवान! इतनी लापरवाही
क्षेत्र के नगला निवासी विनीता पत्नी देशराज उम्र 28 वर्ष को गांव की आशा बहू मीरा सविता एंबुलेंस से मंगलवार की रात प्रसव पीड़ा को चलते सरकारी अस्पताल लेकर आई थीं, जहां उसको भर्ती कराया। काफी देर होने के बाद भी उसका कोई उपचार शुरू नहीं किया गया। अस्पताल की स्टाफ नर्स द्वारा प्रसव के लिए पहुंची महिला का सही उपचार नहीं करने पर परिवारीजनों ने उसे तत्काल बिधूना के प्राइवेट क्लीनिक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां गर्भवती महिला ने मरे बच्चे को जन्म दिया।
क्षेत्र के नगला निवासी विनीता पत्नी देशराज उम्र 28 वर्ष को गांव की आशा बहू मीरा सविता एंबुलेंस से मंगलवार की रात प्रसव पीड़ा को चलते सरकारी अस्पताल लेकर आई थीं, जहां उसको भर्ती कराया। काफी देर होने के बाद भी उसका कोई उपचार शुरू नहीं किया गया। अस्पताल की स्टाफ नर्स द्वारा प्रसव के लिए पहुंची महिला का सही उपचार नहीं करने पर परिवारीजनों ने उसे तत्काल बिधूना के प्राइवेट क्लीनिक अस्पताल में भर्ती कराया, जहां गर्भवती महिला ने मरे बच्चे को जन्म दिया।
बचाई जा सकती थी गर्भस्थ शिशु की जान!
महिला के परिजनों का आरोप है यदि स्टाफ नर्स समय से इलाज शुरू कर देती तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। सुनीता पत्नी देशराज के परिजनों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में हम लोगों को सरकारी अस्पताल ही सहारा है, वो भी मुसीबत में दगा दे जाता है। जब अस्पताल में भर्ती कराया था वहां तैनात स्टाफ नर्स रानी कुशवाहा ने पीड़ित का उपचार नहीं किया और उसे रोके रखा। हालत बिगड़ने पर महिला के परिजनों ने जबरन उसे विधूना के प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां गर्भवती महिला को तो किसी तरीके से बचा लिया गया, लेकिन बच्चा मृत पैदा हुआ।
महिला के परिजनों का आरोप है यदि स्टाफ नर्स समय से इलाज शुरू कर देती तो बच्चे की जान बचाई जा सकती थी। सुनीता पत्नी देशराज के परिजनों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में हम लोगों को सरकारी अस्पताल ही सहारा है, वो भी मुसीबत में दगा दे जाता है। जब अस्पताल में भर्ती कराया था वहां तैनात स्टाफ नर्स रानी कुशवाहा ने पीड़ित का उपचार नहीं किया और उसे रोके रखा। हालत बिगड़ने पर महिला के परिजनों ने जबरन उसे विधूना के प्राइवेट अस्पताल ले गए, जहां गर्भवती महिला को तो किसी तरीके से बचा लिया गया, लेकिन बच्चा मृत पैदा हुआ।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी से की शिकायत
गांव के देशराज,बालेश्वर दयाल, महाराज सिंह राठौर, दिग्विजय सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत में कहा है कि महिला अस्पताल में तड़पती रही, लेकिन उसका इलाज नहीं किया गया। महिला की खराब हालत देखते हुए भी चिकित्सक खुशवीर सिंह ने तत्काल कोई दवाई नहीं दी।
गांव के देशराज,बालेश्वर दयाल, महाराज सिंह राठौर, दिग्विजय सिंह ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी से शिकायत में कहा है कि महिला अस्पताल में तड़पती रही, लेकिन उसका इलाज नहीं किया गया। महिला की खराब हालत देखते हुए भी चिकित्सक खुशवीर सिंह ने तत्काल कोई दवाई नहीं दी।
अस्पताल कर्मचारियों पर गंभीर आरोप
अस्पताल कर्मचारियों पर आरोप है कि वह मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों से अभद्र बर्ताव करते हैं, साथ ही इलाज में लापरवाही भी बरतते हैं। इसके चलते आए दिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई मरीज इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सरकार के करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं का यह आलम है।
अस्पताल कर्मचारियों पर आरोप है कि वह मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों से अभद्र बर्ताव करते हैं, साथ ही इलाज में लापरवाही भी बरतते हैं। इसके चलते आए दिन ग्रामीण क्षेत्रों में कई मरीज इलाज के अभाव में ही दम तोड़ देते हैं। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर सरकार के करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं का यह आलम है।
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