वर्ष 1979 तत्कालीन केंद्र सरकार ने एक विशेष अधिसूचना जारी कर आगरा से पंचनद तक राष्ट्रीय चंबल को सेंचुरी इलाके में किसी जल जीव या वन्य जीव का शिकार नहीं होगा। घड़ियाल और डॉल्फ़िन को संरक्षित किया जाएगा। लेकिन यहां दिन-रात मछलियों का शिकार हो रहा है। मछुआरों के जाल में अक्सर घड़ियालों के बच्चे फंस जाते हैं। मछुआरे या तो उन्हें कम पानी में छोड़ देते हैं या फिर वहीं मरने देते हैं।
स्थानीय लोगों की मानें तो इटावा, औरैया और कानपुर के बाजार में चंबल सेंचुरी की मछलियों, कछुओं और डॉल्फ़िन की बड़ी मांग के चलते यहां बड़े पैमाने पर शिकारी शिकार करते रहे हैं। चम्बल सेंचुरी में शिकारी रात में ही शिकार करते हैं, जबकि यमुना में दिन रात बराबर यह काम जारी रहता है। पंचनद इलाके में सबसे ज्यादा शिकार होता है।
गस्ती दल को देखते ही फुर्र हो जाते हैं शिकारी
विभाग जब भी पकड़ने की कोशिश करता है, तो शिकारी नौका समेत ठेका क्षेत्र में चले जाते हैं। जैसे ही गस्ती दल वापस जाता है, शिकारी फिर से प्रतिबंधित क्षेत्र में शिकार करने लगते हैं। एक शिकारी ने बताया कि चंबल सेंचुरी इलाके में कम से कम प्रतिदिन एक लाख रुपये की मछली का शिकार होता है।
विभाग जब भी पकड़ने की कोशिश करता है, तो शिकारी नौका समेत ठेका क्षेत्र में चले जाते हैं। जैसे ही गस्ती दल वापस जाता है, शिकारी फिर से प्रतिबंधित क्षेत्र में शिकार करने लगते हैं। एक शिकारी ने बताया कि चंबल सेंचुरी इलाके में कम से कम प्रतिदिन एक लाख रुपये की मछली का शिकार होता है।
ये हैं शिकारियों के बड़े अड्डे
शिकारियों के अड्डे नीमा डाढ, असेवा, अनुरुदनगर, गपिया खार, नगला बनारस, ततार पुर, मचल की मड़ैया, हरपुरा, पथर्रा और महुआ सूडा आदि स्थान हैं। इन जगहों पर शिकारियों की बड़ी संख्या, नौका व जाल बरामद किये जा सकते हैं। इन स्थानों पर शिकारी दिन-रात शिकार करते देखे जाते हैं।
शिकारियों के अड्डे नीमा डाढ, असेवा, अनुरुदनगर, गपिया खार, नगला बनारस, ततार पुर, मचल की मड़ैया, हरपुरा, पथर्रा और महुआ सूडा आदि स्थान हैं। इन जगहों पर शिकारियों की बड़ी संख्या, नौका व जाल बरामद किये जा सकते हैं। इन स्थानों पर शिकारी दिन-रात शिकार करते देखे जाते हैं।
डीएफओ बोले- नहीं पूरे होने देंगे शिकारियों के मंसूबे
चम्बल डीएफओ संजीव कुमार ने बताया कि टीम लगातार पेट्रोलिंग कर रही है। जल्द ही अभियान चला कर और जगहों पर छापेमारी की जाएगी। किसी भी सूरत में चम्बल में किसी प्रकार का कोई शिकार नहीं होने दिया जायेगा।
चम्बल डीएफओ संजीव कुमार ने बताया कि टीम लगातार पेट्रोलिंग कर रही है। जल्द ही अभियान चला कर और जगहों पर छापेमारी की जाएगी। किसी भी सूरत में चम्बल में किसी प्रकार का कोई शिकार नहीं होने दिया जायेगा।
क्या है राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी
वर्ष 1979 में केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी करके उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश व राजस्थान सयुक्त मांग पर चंबल नदी का 2100 वर्गमील इलाके के साथ इटावा के डिवोली से लेकर पंचनद यमुना नदी को भी राष्ट्रीय चम्बल घोषित किया था। इसमें घड़ियाल, मगरमच्छ ,डॉल्फ़िन व कछुओं का संरक्षित किया गया था। इससे के चलये चम्बल नदी में बड़ी संख्या ये जल जीव पाय जाते हैं।
वर्ष 1979 में केंद्र सरकार द्वारा एक अधिसूचना जारी करके उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश व राजस्थान सयुक्त मांग पर चंबल नदी का 2100 वर्गमील इलाके के साथ इटावा के डिवोली से लेकर पंचनद यमुना नदी को भी राष्ट्रीय चम्बल घोषित किया था। इसमें घड़ियाल, मगरमच्छ ,डॉल्फ़िन व कछुओं का संरक्षित किया गया था। इससे के चलये चम्बल नदी में बड़ी संख्या ये जल जीव पाय जाते हैं।