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औरैया

योगी सरकार के लिए ये स्कूल बना बड़ी चुनौती, बच्चे पकड़ते हैं मछलियां

जनपद के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी का शिक्षा का सपना लेकर आई सरकार के लिए ये विद्यालय बड़ी चुनौती है।

औरैयाApr 18, 2018 / 11:57 am

Mahendra Pratap

This school is a big challenge for Yogi Sarkar in auraiya up

औरैया. जनपद के सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अंग्रेजी का शिक्षा का सपना लेकर आई सरकार के लिए ये विद्यालय बड़ी चुनौती है। पहले इनकी दशा तो सुधर न सकी। खैर सरकार है कि निर्णय लेने के सभी अधिकार है। लेकिन इन स्कूलों में कोई ठोस कदम उठाने पड़ेंगे। नहीं तो बहुत हाल खराब हो रहे है। शिक्षक की कुछ बड़ी जिम्मेदारी तय करनी होगी।

मछली पकड़ने में मस्त रहते छात्र

सरकार जहां एक ओर बुनियादी शिक्षा का कायाकल्प में एडी चोटी का जोर लगाये है, वहीं उनके ही नुमायंदे शिक्षक दायित्वों के साथ मजाक उड़ाते नजर आ रहे हैं। ये हाल जनपद के बीहड़ क्षेत्र के सभी विद्यालयों का है। पास में बहती यमुना नदी खाली समय मे बच्चों के लिए मनोरंजन का केंद्र है। जो वहां मछली पकड़ने में मस्त रहते हैं। पढ़ाई के नाम पर सरकार की धुल मूल नीति के कारण शिक्षक भी मस्ती करते हैं। उनको भी अपना कोरम पूरा करना है। उसको कुछ आये या न आये।

भविष्य बर्बाद करने को विवश

जनपद में बड़े, बीहड़ी इलाके मे इन शिल्पकारों की मनमर्जी पर खुल रहे विद्यायल में नौनिहालो को शिक्षा के लिए तरसना पड़ रहा है। जहां जरूरत का हर संसाधन तो मौजूद तो हे मगर कर्तब्य पालन की सीख देने वाले अध्यापक कभी भी समय से स्कूल नहीं पहुंच रहे हैं। परिणाम स्वरूप बीहड़ मै नौनिहाल आवारा गर्दी और घरेलु कामों में लगकर भविष्य बर्बाद करने को विवश है।

हकीकत नंबर 1

उच्चतर माध्यमिक विद्यालय असेवा में ताला लगा था वही बच्चे बरामदे में खेल रहे थे पूछने पर बताते है कि गुरु जी कभी समय पर स्कुल नही आते है विद्यालय के खुलने और बंद होने का समय कोई बच्चा नहीं बता पाया।

हकीकत नबर 2

यमुना की तलहटी में बसे गांव अनुरुद्ध नगर में यमुना में मछली पकड़ रहे बच्चे ने बताया कि स्कुल कभी कभार ही खुलता है । घर पर काम नही है बकरी चराने आये थे मौका मिला गया तो जाल डाल दिया शाम तक 300 व 400 की मछली पकड़ लेता हूं। इससे घर में पूरी व्यवस्था भी हो जाती है। टीचर आते नहीं है तब तक ये काम भी बहुत जरूरी है। पढ़ाई का नाम तो साहब यहां मजाक है। बच्चे भी माहौल देखकर यहां आते है। आलम तो ये है कि आओ या न आओ कोई यहां पूंछने वाला भी नहीं है।

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